नमस्कार
आज हम बात करेंगे वास्तु पुरुष के अंग, देवताओं के स्थान और उनके मंत्रो के बारे में
शरीर के अंग देवता का स्थान
मस्तक में शिव
दोनों कानो में पर्जन्य, दिति
गले के ऊपर आपदेव
दोनों स्तनों पर अर्यमा, पृथ्वीधर
हृदय के ऊपर आपवत्स
दोनों कंधो पर जय, अदिति
दायीं कोहनी से पहुंचे तक रूद्र,
रुद्र्दास
दायें हाथ के पहुंचे तक सावित्री, सविता
नाभि के पीछे ब्रह्म उपस्थ
जांघ पर मृत्यु, मित्र
जननेद्रिय स्थान पर इंद्र-जय
दोनों घुटनों के ऊपर अग्नि, रोग
दोनों एडियों पर पितृ देवता
एक पैर की नली पर नंदी, पूषा, असुर, सुग्रीव, वरुण, शोण, पाप्यक्ष्मा
पूर्व
शिखी 1 |
पर्जन्य 2 |
जयंत 3 |
इंद्र 4 |
सूर्य 5 |
सत्य 6 |
भृश 7 |
आकाश 8 |
अनिल 9 |
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दिति 32 |
आप 33 |
अर्यमा 37 |
सावित्री
34 |
पूषा 10 |
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अतिदी 31 |
आपवत्स 44 |
पश्चिम क्षेत्र 38 |
वितथ 11 |
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भुजंग 30 |
पृथ्वीधर 43 |
पश्चिम क्षेत्र 45 |
पश्चिम क्षेत्र 39 |
बृहतक्षत 12 |
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सोम 29 |
यम 13 |
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भल्लाट 28 |
गंधर्व 14 |
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मुख्य 27 |
राजयक्ष्मा 42 |
पश्चिम क्षेत्र 41 |
पश्चिम क्षेत्र 40 |
भृंगराज 15 |
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नाग 26 |
रूद्र 36 |
पश्चिम क्षेत्र 35 |
मृग 16 |
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रोग 25 |
पापयक्ष्मा 24 |
शेष 23 |
असुर 22 |
वरुण 21 |
पुष्पदंत 20 |
सुग्रीव 19 |
दैवारिक 18 |
पितृ 17 |
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