कृष्णमूर्ति पद्धति, नक्षत्र पद्धति, KP Astrology - Tarot Duniya

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Friday, August 27, 2021

कृष्णमूर्ति पद्धति, नक्षत्र पद्धति, KP Astrology

नमस्कार, 

आज हम बात करेंगे कृष्णामूर्ति पद्धति के बारे में 

Ø   भचक्र:- भचक्र को 12 समान भागों में बांटा गया है | प्रत्येक को 30 अंश की राशी कहा गया है | जिसे मेष,वृषभ,मिथुन,कर्क,सिंह,कन्या,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर,कुंभ और मीन नाम दिया गया है | और इनके स्वामी को राशी स्वामी कहा जाता है |

Ø     भचक्र को 27 समान भागों में बांटा गया है जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है | प्रत्येक नक्षत्र की अवधि 13 अंश और 20 मिनट की होती है | एक अंश 60 मिनट का होता है और यदि 13 को 60 से गुणा किया जाये तो 13x60=780 मिनट बनते हैं और 780 मिनट में 20 मिनट और जोड़ने पर 800 मिनट बनते हैं | इसलिए एक नक्षत्र की अवधि 800 मिनट की होती है और अश्वनी से रेवती तक इन नक्षत्रों के स्वामी केतू, शुक्र, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहू, बृहस्पति, शनि और बुध इत्यादि ग्रह होते हैं | जिन्हें नक्षत्र स्वामी कहा जाता है |

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Ø    नक्षत्र:-

1.      

1.       1.अश्विनी        10. मघा               19. मूल           =       केतू               
2.     2.    भरणी        11. पूर्व फाल्गुनी         20. पूर्व आषाढ़     =       शुक्र
3.       3. कृतिका        12. उतर फाल्गुनी        21. उतर आषाढ़    =       सूर्य
4.       4.रोहिणी         13. हस्त               22. श्रवण         =       चंद्रमा
5.       5.मृगशिरा       14. चित्रा               23. घनिष्ठ        =       मंगल
6.        6.आर्द्रा          15. स्वाति             24. शतभिषा       =       राहू
7.         7.पुनर्वसु         16. विशाखा           25. पूर्व भाद्रपद     =       बृहस्पति
8.         8.पुष्य           17. अनुराधा           26. उतर भाद्रपद    =       शनि
9.        9.अश्लेषा        18. ज्येष्ठ             27. रेवती          =       बुध

1.   

          एक नक्षत्र जिसकी एक निश्चित अवधि 800 मिनट होती है, उनको आगे 9 बराबर भागों में बांटा जाता है | प्रत्येक भाग को सब अर्थात उप कहा गया है और इनके स्वामी को उप स्वामी या सब स्वामी कहा जाता है | प्रत्येक नक्षत्र के पहले सब का स्वामी नक्षत्र स्वामी ही होता है | इसके बाद ये क्रम विम्शोंतरी महादशा के क्रम से चलता है |

Ø   विम्शोंतरी दशा का क्रम इस प्रकार है – केतू,शुक्र,सूर्य,चंद्रमा,मंगल,राहू,बृहस्पति,शनि,बुध

Ø  विम्शोंतरी महादशा की कुल अवधि 120 वर्ष मानी गयी है | जिसका क्रम इस प्रकार है – केतू - 7 वर्ष, शुक्र – 20 वर्ष, सूर्य – 6 वर्ष, चंद्रमा -10 वर्ष, मंगल – 7 वर्ष, राहू -18 वर्ष, बृहस्पति – 16 वर्ष, शनि -19 वर्ष,  बुध -17 वर्ष |

अ यदि एक नक्षत्र की अवधि 13 अंश 20 मिनट हो तो हम प्रत्येक सब की अवधि निकाल सकते हैं | उदाहरण के लिए यदि शुक्र के सब की अवधि निकालनी हो तो शुक्र के वर्ष को 800 मिनट से भाग दीजिये और कुल वर्षों से भाग दे दीजिये जैसे 20 x 800/120 = 2 अंश 13 मिनट 20 सेकंड |

    इसी प्रकार केतू के सब की अवधि = 7 x 800/120 = 46 मिनट 40 सेकंड |

सू  सूर्य = 6 x 800/120 = 40 मिनट |

चं  चंद्रमा  = 10 x  800/120 = 1 अंश 6 मिनट 40 सेकंड |

म  मंगल  = 7 x 800/120 = 46 मिनट 40 सेकंड |

    राहू = 18 x 800/120 = 2 अंश |

ब  बृहस्पति  = 16 x 800/120 = 1 अंश 46 मिनट 40 सेकंड |

       शनि  = 19 x 800/120 = 2 अंश 6 मिनट 40 सेकंड |

ब  बुध = 17 x 800/120 = 1 अंश 53 मिनट 20 सेकंड |

    

           नक्षत्र पद्धति को समझने के लिए हमारे पास 12 राशियाँ, 27 नक्षत्र और 249 सब हैं | ये सब एक    चार्ट के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं | प्रत्येक राशि, नक्षत्र और सब की अवधि और इनके स्वामी इस चार्ट में दिखाए गए हैं |

   प्रश्न शास्त्र में प्रश्न कर्ता से 1 से 249 तक कोई एक अंक पूछना चाहिए |

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