तीन ग्रहों की युति का फल
सूर्य के साथ ग्रहों के बैठने का फल
नमस्कार
आज हम बात करेंगे यदि कुंडली में सूर्य आदि ग्रह पाप ग्रहों या शुभ ग्रहों से युक्त या पाप ग्रहों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक को क्या फल मिलता है।
सूर्य : यदि जातक की कुंडली में सूर्य पाप ग्रहों के साथ बैठा हो या पाप ग्रह की दृष्टि हो तो जातक को पिता के सुख की कमी, सरकारी महकमों से परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि सूर्य शुभ ग्रह के साथ बैठा हो या शुभ ग्रह की दृष्टि सूर्य पर हो तो जातक को पिता से लाभ, पिता से सुख में वृद्धि, सरकारी महकमों से लाभ मिलता है।
चन्द्रमा : यदि जातक की कुंडली में चन्द्रमा पाप ग्रहों के साथ बैठा हो या पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो माता को कष्ट या माता के सुख सुविधाओं में कमी आती है, माता को मानसिक तनाव भी रह सकता है। यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो माता और माता के मायके पक्ष से सुख और लाभ प्राप्त होता है।
मंगल : यदि जातक की कुंडली में मंगल पाप ग्रहों के साथ बैठा हो या मंगल पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो जातक को भूमि, मकान, भाई, पुत्र के सुख प्राप्त नहीं होते, वाद विवाद सदैव बना रहता है। यदि मंगल पर शुभ और मित्र ग्रहों की दृष्टि हो या मित्र ग्रह साथ बैठे हो तो जातक को भूमि, मकान, भाई, पुत्र इन सब के सुखों की प्राप्ति होती है।
शनि : यदि जातक की कुंडली में शनि मित्र ग्रह या शुभ ग्रह के संबंध में हो तो जातक को लंबी उम्र प्राप्त होती है, व्यक्ति धैर्य रखने वाला होता है, तेल का व्यापार इसके लिए लाभदायक होता है, लोहा या तकनीकी कार्य से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि शनि अशुभ ग्रह के संबंध में हो तो अपनी कारक वस्तुओं के सुख का नुकसान करता है।
बुध : यदि जातक की कुंडली में बुध शुभ ग्रह या मित्र ग्रहों के संबंध में हो तो जातक बुद्धिमान, विद्या का धनी, मामा पक्ष से सुखी, शिल्प कला, गणित, ज्योतिष इत्यादि में भाग्यवान होता है। यदि बुध पाप ग्रहों से संबंधित हो तो इन सभी सुखों में कमी लाता है।
बृहस्पति : यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति नीच हो, पाप ग्रहों के साथ बैठा हो या पाप ग्रह की दृष्टि हो तो जातक को उच्च विद्या, बड़ा भाई, पति और पुत्र संतान के सुख की कमी रहती है। यदि गुरु शुभ ग्रह के साथ बैठा हो या शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक उच्च विद्या, पति, पुत्र संतान, बड़ा भाई आदि का सुख प्राप्त करता है।
शुक्र : यदि जातक की कुंडली में शुक्र शुभ ग्रहों के साथ बैठा हो या शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक को धन, संपत्ति, स्त्री, सुख, मित्र, संगीत, सौन्दर्य का सुख प्राप्त होता है और यदि शुक्र पाप ग्रह के साथ बैठा हो या पाप ग्रह की दृष्टि हो या नीच का हो तो सभी सुखों में कमी लाता है। पत्नी सुख भी शुक्र के द्वारा ही प्राप्त होता है।
सूर्य के साथ ग्रहों की युति का फल
सूर्य-चंद्र-मंगल : यदि जातक की कुंडली में सूर्य चंद्र मंगल तीनों ग्रह एक ही भाव में हो तो जातक तेज बुद्धि, तामसिक प्रवृत्ति, पराक्रमी, जल्दी क्रोधित हो जाने वाला, मेहनत से धन कमाने वाला, हस्तशिल्प, कला में विशेषज्ञ लोहे, सोने, चांदी, पत्थर आदि से कृतियां बनाने वाला या तकनीकी कामों में आगे होता है। ऐसा व्यक्ति दुश्मनों पर जीत हासिल करता है। स्वाभिमानी होता है और कुछ कठोर स्वभाव वाला होता है। माता के लिए कष्टदायक होता है। माता के सुख सुविधाओं में कमी लाता है।
सूर्य-चंद्र-बुध : जिन जातकों की कुंडली मे सूर्य चन्द्र बुध साथ हों तो ऐसे व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले, बुद्धिमान, गुणवान, धान्य, भूमि, वाहन आदि सुखो से युक्त, धर्म,ज्योतिष और कलाओं में रुचि रखने वाले होते हैं, मनोवैज्ञानिक, सरकारी अधिकारी। ऐसे व्यक्ति जो भी काम करते हैं उसे पूरे दिल से करते हैं और पूरा करते है। यदि इस युति पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्तिब्लैक मेलर बनता है। इनका मन अशांत रहता है। मानसिक तनाव रहता है और स्वभाव परिवर्तित होता रहता है।
सूर्य-चंद्र-गुरू : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, चंद्र और गुरु तीनों ग्रह एक ही भाव में हो तो ऐसे जातक विद्वान, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले, परोपकारी, धार्मिक स्वभाव वाले, बुद्धिमान, दोस्तों और रिश्तेदारों से सम्मान पाने वाले, देवताओं और ब्राह्मणों की सेवा करने वाले, विद्वानों की संगत में बैठने वाले, प्रत्येक कार्य को समझदारी और होशियारी के साथ करने वाले, व्यवहार कुशल और नौकरी में विशेष लाभ उठाने वाले होते हैं। ऐसे जातक अपनी जन्मभूमि से दूर देश विदेश आदि में सफलता प्राप्त करते हैं।
सूर्य-चंद्र-शुक्र : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, चंद्र और शुक्र तीनों ग्रहों की युति हो तो ऐसा जातक सुंदर व्यक्तित्व वाला, व्यवहार में कुशल, प्रसिद्ध, नौकरी और व्यवसाय में अस्थिर, गुप्त तरीके से धन जोड़ने वाला, शराब पीने वाला, दांतों के रोग, पेट में विकार, डायबिटीज, कामुक और विलासी, परस्त्री गामी, गुप्त रोगी, निसंतान या अल्प संतति, बेफिजुल खर्च करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति साधारण धनी होते हैं।
सूर्य-चंद्र-शनि : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, चंद्र और शनि तीनों ग्रह एक ही भाव में एक ही राशि में हो तो ऐसे व्यक्ति कुटिल बुद्धि वाले, अपना काम बनवाने के लिए सच झूठ बोलने वाले, रहस्यमय स्वभाव वाले, परस्त्री गामी, दूसरों के मन के भावों को आराम से समझने में कुशल, पशुओं की सेवा करने वाले, धातु जैसे लोहा,पीतल, चांदी, सोना आदि का कार्य करने में कुशल, तंबाकू, शराब जैसी वस्तुओं के का सेवन करने वाले होते हैं। ऐसे जातक व्यर्थ मेहनत करने वाले और आर्थिक क्षेत्र में परेशानियों से घिरे रहते हैं। माता पिता और परिवार के साथ इनकी नहीं बनती।
सूर्य-मंगल-बुध : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, मंगल और बुध तीनों ग्रह एक ही भाव में हो एक ही राशि में हो तो ऐसे जातक पराक्रमी, साहसी, लोकप्रिय, नीतिवान, उच्च प्रतिष्ठा वाले, परंतु कभी-कभी कठोर हृदय वाले भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति निर्लज्ज, जिद्दी , Bold, धन, सम्पदा, वाहन, स्त्री और संतान आदि सुखों से युक्त होते हैं। सलाह देने में भी ऐसे व्यक्ति अच्छे होते हैं। ज्योतिष, धर्म-कर्म, मंत्र, शास्त्र में इनकी रूचि होती है। यदि सूर्य, मंगल, बुध की युति पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो जातक तर्क वितर्क करने वाला बेशर्मी से छोटे कार्य भी कर सकता है। यदि गुरु जैसे शुभ ग्रहों की दृष्टि इस युति पर हो तो जातक उच्च प्रतिष्ठा पाने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति साहसी तो होते ही हैं पंरतु साथ ही ऐसे जातकों में अहंकार भी कूट कूट कर भरा होता है। इनमे धैर्य न के बराबर होता है।
सूर्य-मंगल-गुरू : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, मंगल और गुरु तीनों ग्रह एक ही राशि और एक ही भाव में बैठे हो तो जातक तेज बुद्धि वाला, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला, भाग्यवान, सौम्य भाषा वाला, तेजस्वी, इमानदार होता है। नौकरी या व्यवसाय को सुव्यवस्थित ढंग से करने वाला व्यक्ति होता है। पुश्तैनी संपदा से इन्हें लाभ मिलता है जैसे भूमि, जायदाद। वाहन, पुत्र, संतान आदि सुखों से युक्त होते हैं। ऐसे जातक सेना में उच्च अधिकारी मंत्री आदि भी हो सकते हैं। ऐसे जातक लेखक, मूर्तिकार, वक्ता और कलाकार बनते हैं। यह सुख-समृद्धि से अपना जीवन यापन करते हैं।यदि इस युति पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो आंखों में तकलीफ, सर में दर्द, संतान संबंधी चिंता और पिता को कष्ट जैसे अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
सूर्य-मंगल-शुक्र : जिस जातक की कुंडली में सूर्य, मंगल, शुक्र तीनों ग्रह एक राशि में और एक ही भाव में हो तो ऐसे जातक सुंदर और आकर्षक पर्सनैलिटी वाले, सॉफ्ट नेचर के, साफ स्पष्ट भाषा वाले, अपने कुल में श्रेष्ठ, धनी, वाहन, सुंदर स्त्री और संतान के सुख से संपन्न होते हैं। ऐसे व्यक्ति संगीत, अभिनय, सौंदर्य में विशेष रुचि रखते हैं। कभी-कभी ऐसे व्यक्ति जल्दबाजी में गलत निर्णय ले लेते हैं जिस कारण इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। परंतु यह अपने पराक्रम से ऊंचा पद हासिल करते हैं। ये जातक बातूनी होते है और बेवजह की बातों में अपना समय गवाते हैं। इन जातकों में नैतिकता की कमी होती है। कामुक और विषयासक्त भी होते है।
सूर्य-मंगल-शनि : जिस जातक की कुंडली में सूर्य, मंगल, शनि तीनों ग्रह एक ही राशि में हो या एक ही भाव में हो तो ऐसे जातक अपने आसपास के लोगों से विरोध करते हैं और उनके सहयोग से रहित रहते हैं। अकेले में रहना ही इन्हे पसंद होता है। हाथ की कला में यह निपुण होते हैं और तकनीकी कार्यों में भी कुशल होते हैं। बहुत अधिक संघर्ष करते हैं और मेहनत से धन का अर्जन करने वाले होते हैं। सुख सुविधाओं के साधनों में कमी रहती है।
सूर्य-बुध-गुरु : जिस जातक की कुंडली में सूर्य, बुध, गुरु तीनों ग्रह है एक ही राशि और एक ही भाव में होते हैं। तो ऐसे जातक उच्च शिक्षित, विद्वान, बुद्धिमान, धर्म कर्म में रुचि रखने वाले, ज्योतिष और साहित्य आदि शास्त्रों को मानने वाले होते हैं। अकाउंटेंट, वकील, कला, और लेखन कार्य व भाषण में निपुण होते हैं। धन संपदा, सुख साधनों से संपन्न होते हैं पर इनके आंखों में कष्ट रहता है। ऐसे जातक चतुर, शिल्पी, शास्त्र रचियता, वात्तरोगी एवं ऐश्वर्यवान् होते है। अपने जीवन काल में यह बहुत प्रसिद्ध होते हैं और सबसे सम्मान पाने के हकदार होते हैं। विश्वास के काबिल और धनी होते हैं।
सूर्य-बुध-शुक्र : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, बुध और शुक्र यह तीनों ग्रह एक ही राशि में और एक ही भाव में होते हैं तो ऐसे जातक बातचीत करने में कुशल होते हैं, उच्च विद्या प्राप्त करते हैं, स्वाबलंबी होते हैं, मेहनती होते हैं और मेहनत के द्वारा उच्च पद और प्रतिष्ठा हासिल करते हैं। साहित्य में इनकी रूचि होती है। धर्म, ज्योतिष में भी यह रूचि रखने वाले होते हैं। अपनी उच्च विद्या और कला के कारण धन अर्जित करते हैं। भूमि, जायदाद, वाहन आदि सुखों से संपन्न होते हैं। इनका जीवनसाथी चतुर होता है जीवनसाथी के कारण परेशान रहते हैं। यदि सूर्य, बुध, शुक्र की इस युति पर गुरु या चंद्रमा के शुभ दृष्टि हो तो ऐसे जातक ऊंचा पद प्राप्त करते हैं और मनोरंजन और विलास आदि जैसे कार्यों पर भी खर्च करते हैं।
सूर्य-बुध-शनि : जिन जातकों के जन्म कुंडली में सूर्य, बुध और शनि यह तीनों ग्रह है एक ही भाव में हो और एक ही राशि में हो तो ऐसे जातक के जीवन में बंधु बांधवों की कमी रहती है। बहुत संघर्ष में जीवन बिताना पड़ता है। बहुत मेहनत के बाद आय के साधन बन पाते हैं। शरीर पतला दुबला होता है। दोस्तों के साथ मनमुटाव और तनाव रहता है। अपने से छोटे लोगों के साथ इन की संगति रहती है। आय कम और खर्चे अधिक होते हैं। इनकी कुंडली में विदेश जाने की संभावना होती है। बेवजह की चिंताएं और अशांति से घिरे रहते हैं। छोटी आयु में स्वस्थ और सुंदर होते हैं परंतु 36 वर्ष की आयु के बाद स्वास्थ्य ढीला रहने लगता है और नीच कामों में लग जाता है। ज्योतिष, धर्म, कर्म, योग आदि जैसे विषयों में इनका मन लगता है। कलाद्वेषी, कुटिल, धन का नाशक होता है।
सूर्य-गुरू-शुक्र : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, गुरु, शुक्र तीनों ग्रह एक ही भाव में और एक ही राशि में होते हैं तो ऐसी युति जातक को उच्च विद्या प्राप्त कराती है। ऐसे व्यक्ति विद्वान, उच्च प्रतिष्ठा पाने वाले, सज्जन, धर्म-कर्म के कार्यों से युक्त, उदार हृदय वाले, परोपकारी, प्लानिंग से काम करने वाले, राज्य में सम्मान प्राप्त करने वाले, पराक्रमी, अपनी मेहनत से धन कमाने वाले और उन्नति प्राप्त करने वाले होते हैं। इन्हें पिता और सरकारी क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होता रहता है। यदि यह युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या फिर शनि या राहु की इस युति पर दृष्टि हो तो जीवनसाथी को कष्ट या जीवनसाथी के कारण परेशानी बनी रहती है। इनके नेत्रों में विकार रहता है।
सूर्य-गुरू-शनि : जिन जातकों कुंडली में सूर्य, गुरु, शनि तीनों ग्रह एक ही भाव में एक ही राशि में होते हैं तो ऐसे जातक आकर्षक व्यक्तित्व वाले, निडर, गंभीर, धर्म के कार्यों में रुचि रखने वाले, उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले, परोपकारी, ब्राह्मणों और साधु संतों की सेवा करने वाले, धातु, शिल्प और तकनीकी कार्यों में कुशल होते हैं। मित्र, संतान, जीवनसाथी, मकान, वाहन आदि सुखों से युक्त होते हैं। परंतु कभी-कभी इन्हें कुछ क्षेत्रों में रुकावट का सामना करना पड़ता है। यदि यह युति मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशियों में हो तो शुभ होती है और अच्छा फल देती है। यदि इस युक्ति पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या शत्रु ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति चरित्रहीन, दुखी, संबंधियों से तिरस्कृत और रोगी होता है।
सूर्य-शुक्र-शनि : जिन जातकों की कुंडली में सूर्य, शुक्र और शनि तीनों ग्रह एक ही भाव में हो और एक ही राशि में हो तो ऐसे व्यक्ति चंचल परंतु बुद्धिमान होते हैं। श्रृंगार, हुनर और तकनीकी कार्यों में इनकी रूचि होती हैं। यह अच्छी चित्रकारी भी करते हैं। ऐसे जातक सौंदर्य प्रसाधन, वाहन, मकान, मनोरंजन और विलास जैसे कार्यों पर अधिक खर्च करते हैं। यह युति यदि वृष, मिथुन, सिंह, कन्या,तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि में हो तो अच्छा फल देती है। यदि अशुभ राशि और अशुभ भाव में हो तो यह युति जातक को अत्यधिक विलास प्रिय, दुराचारी, दोस्त और रिश्तेदारों के सुख में कमी लाने वाली, दाद खाज खुजली, कुष्ठ रोग और डायबिटीज जैसे रोग लगाती है। ऐसी स्थिती में इनका चरित्र अच्छा नहीं कहा जा सकता। अपने कुछ कामों के कारण इन्हें मानहानि भी झेलनी पड़ सकती है। जीवनसाथी से विद्रोह, तलाक, घर में अशांति रहती है।
धन्यवाद !
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