12th house in astrology , वैदिक ज्योतिष में बारहवें घर का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझायेगे, सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव मे - Tarot Duniya

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Sunday, June 12, 2022

12th house in astrology , वैदिक ज्योतिष में बारहवें घर का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझायेगे, सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव मे

 वैदिक ज्योतिष में बारहवें घर का उद्देश्य क्या है और क्या आप इसे विस्तार से समझा सकते हैं, सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में?

नमस्कार 

आज हम वैदिक ज्योतिष में बारहवें घर का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझायेगे, सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव मे

  • बारहवें घर से व्यय, हानि, घाटा, दिवालिया, मुकदमा, व्यसन, विदेश से सम्बन्ध, नेत्र-पीड़ा, फिजुलखर्च, अचानक से आने वाले खर्चे, मोक्ष, मृत्यु के बाद प्राणी की गति यह सब बारहवें घर से देखा जा सकता है|
  • बारहवें घर से नुकसान, विदेश यात्रा, जेल यात्रा, शैय्या सुख, हॉस्पिटल, लम्बी बीमारी भी इसी भाव से देखा जा सकता है| 
  • परन्तु परिवार के लाभ इसी भाव से देखे जा सकते है क्यूंकि दुसरे भाव से ग्यारहवा होने कारण, दूसरा भाव जो की परिवार का होता है ग्यारहवा भाव जो की लाभ का होता है इसलिए आपके बारहवें घर से परिवार का लाभ देखा जा सकता है| 
  • गहरे विषयों में जैसे की पीएचडी जैसे विषय, रिसर्च में बुद्धि इसी भाव से देखि जाती है क्यूंकि आठवां भाव रिसर्च का और पांचवां भाव बुद्धि, ज्ञान का होता है तो आठवें से पांचवां होने के कारण इस भाव से आप जान सकते है की आपकी रिसर्च पूरी होगी या नही|
  • बारहवें घर में यदि शुक्र हो या शुक्र का सम्बन्ध हो तो जीवनसाथी बुरे समय में साथ देने वाला होता है और जातक बहुत धनवान व प्रसिद्द होता है| 
  • बारहवें घर का कारक ग्रह शनि है|
  • बारहवें घर को पणफर गृह और त्रिक स्थान कहा जाता है|
  • बारहवें घर को व्यय स्थान और उसके स्वामी को व्ययेश कहा जाता है|
  •  बारहवें घर में निर्बल ग्रह हो और द्वादशेश बल से युक्त हो तो धन की हानि होती है।
  • बारहवें घर में चर राशि हो और शनि से युक्त हो या शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति घूमने फिरने का शौकीन होता है।
  • छठे भाव का स्वामी या आठवें भाव का स्वामी बलवान पाप ग्रह हो और बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति दिवालिया होता है।
  • बारहवें घर शुभ ग्रहों से युक्त हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति पुण्यात्मा और दानशील होता है।
  • बारहवें घर में बैठा हुआ ग्रह उच्च या अपनी राशि का हो तो व्यक्ति परोपकारी होता है।
  • बारहवें घर में चंद्रमा, शुक्र और बृहस्पति हो तो व्यक्ति धनवान होता है परंतु बारहवें भाव के स्वामी पर भी यह योग निर्भर होता है।
  • बारहवें घर में बैठा हुआ ग्रह उच्च राशि, अपनी राशि या मित्र राशि में हो तो व्यक्ति के जीवन की हर आवश्यकता पूरी होती है।
  • शनि, केतु और चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति जीवन के मध्य में बहुत दुख भोगता है।
  • लग्न में गुरु हो, सातवें भाव में शुक्र हो और कन्या राशि में चंद्रमा हो तो जातक की मृत्यु के बाद सद्गति होती है।
  • बारहवें घर में पाप ग्रह हो तो व्यक्ति प्रसिद्ध होता है और समाज में आदर पाता है।
  • बारहवें घर का स्वामी लग्न में हो तो व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • बारहवें घर का फलादेश करने से पहले बारहवें घर में स्थित ग्रह, बारहवें घर पर ग्रहों की दृष्टि, व्ययेश, द्वादशेश की राशी, द्वादशेश का एनी ग्रहों से सम्बन्ध, दशा, महादशा, अन्तर्दशा इन सब का ज्ञान होना भी आवश्यक है| 

   बारहवें घर में राशियों के अनुसार फल 

मेष : जिस व्यक्ति के बारहवें घर में मेष राशी होती है, वह शोकिन स्वभाव का होता है| ऐश-आराम, मनोरंजन, सजावट आदि के कामो पर इनका खर्च होता है, फ़िज़ूलखर्च के कारन इनकी आर्थिक स्थिति डामाडोल रहती है| इन्हें जीवन में कईं उतर-चदाव देखने पड़ते है| यदि यह व्यक्ति व्यापारी होते है तो इनके जीवन में ऐसा समय भी आता है जब इन्हें साख सम्भालनी कठिन हो जाती है| आँखे कमजोर रहती है और बुढापे में इनकी आँखों का ऑपरेशन होता है|  



वृषभ : जिस व्यक्ति के बारहवें घर में वृषभ राशी होती है, ऐसे व्यक्ति बहुत संघर्ष करते है| जीवन में आने वाले उतर-चढाव से बहुत कुछ सीख चुके होते है| जीवन की वास्तविकता से रूबरू हो चुके होते है| बचपन से ही इनमे उन्नति की कामना होती है| सामजिक क्षेत्र में इन्हें सम्मान मिलता है| ऐसे व्यक्ति व्यसनों से दूर रहता है| यह संयमी और सचरित्र होते है| अपने खर्चो पर पूरा नियंत्रण रखते है कमाई के स्त्रोत्र तलाशते रहते है| 

मिथुन : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में मिथुन राशि होती है वह कल्पना करने वाले और भावुक होते हैं। मुश्किलों में उलझे रहते हैं। आय पर नियंत्रण नहीं कर पाते। जिन पर यह विश्वास करते हैं वही लोग इन्हें धोखा दे देते हैं। आंख मूंद कर किसी पर भी विश्वास कर लेते हैं। बुढ़ापे में इन्हें नेत्रों में विकार हो जाता है और ऑपरेशन भी कराना पड़ जाता है। धार्मिक क्षेत्र में ऐसे लोग ढोंग पाखंड और सामाजिक रूढ़ियों का कट्टर विरोध करते हैं।

कर्क : जिन जातकों के बारहवें भाव में कर्क राशि होती है ऐसे व्यक्ति जिद्दी होते हैं। इन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है, गुस्से में सही गलत का भी ध्यान नहीं रखते। जीवन उतार-चढ़ाव से घिरा रहता है। विश्वासघात के कारण इन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। इनकी शिक्षा सामान्य होती है और नौकरी में भी इन्हें कुछ प्राप्त नहीं होता। धीरे-धीरे प्रगति होती है पर साहस और निडरता से यह अपने आप को आगे ले जाते हैं। जीवन में फिजूलखर्ची का सामना करना पड़ता है।

सिंह : जिन जातकों के बारहवें भाव में सिंह राशि होती है वह कोमल, शांत, मधुरभाषी होते हैं। संघर्ष से दूर रहते हैं और अकेले में जीवन बिताना पसंद करते हैं। ऐसे व्यक्ति व्यापार में सफल नहीं हो पाते पर नौकरी में इन्हें उन्नति मिलती है। इन्हें सुरुचिपूर्ण ढंग से रहना, अच्छे कपड़े पहनना पसंद होता है। सजावट और कलात्मक चीजों से इन्हें प्रेम होता है और ऐसी चीजों पर यह खर्च भी बहुत करते हैं। बाहर के लोगों से इनके संबंध अच्छे होते हैं और अपने से ऊंचे स्तर के लोगों से इनका संपर्क होता है। धार्मिक कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

कन्या : जिनके बारहवें घर में कन्या राशि होती है ऐसे व्यक्ति सफल व्यापारी होते हैं। तुरंत निर्णय ले लेते हैं। कमाई के नए तरीके ढूंढते रहते हैं जिनसे इनकी स्थाई आमदनी हो सके। खर्च के मामले में यह बहुत सोच समझ कर चलते हैं और फिजूल खर्च से दूर रहते हैं। ना तो यह खुद बुराई पालते हैं और ना ही बच्चों को बुरी चीजों की ओर प्रेरित होने देते हैं। सात्विकता इनके जीवन का सार होता है। मुकदमेबाजी के कारण इन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है पर यह शत्रुओं पर विजय पा लेते हैं। अचानक खर्च जीवन में आ जाते हैं जिससे आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है पर फिर भी अपने आप पर नियंत्रण पा लेते हैं।

तुला : जिन व्यक्तियों के बारहवें भाव में तुला राशि होती है ऐसे व्यक्ति मेहनत पर पूरा विश्वास रखते हैं और मेहनत के बल पर ही तरक्की करते हैं। माता-पिता का सहयोग बहुत कम मिलता है। बचपन कष्ट में बितता है। एक प्रकार से यह सेल्फमेड होते हैं। विभिन्न स्तर के लोग इनके संपर्क में आते हैं और यह सभी प्रकार के लोगों से खुलकर मिलते हैं। जीवन में दोस्तों और जानकारों से लाभ उठाते हैं। किस समय, किस व्यक्ति से, कैसे बात की जाए और दूसरे पक्ष को भी किस प्रकार अपने अनुसार बनाया जाए। इन्हें यह सब अच्छे से पता होता है जो भी एक बार इनके संपर्क में आता है, वह इनका हो जाता है। खर्च पर इनका नियंत्रण नहीं होता। आय के कई तरीके इनके पास होते हैं फिर भी इनकी आर्थिक स्थिति डामाडोल रहती है। उच्च स्तर के कपड़े पहनते हैं। 

यदि पुरुष की कुण्डली है तो स्त्री के कारण और यदि स्त्री की कुण्डली है तो पुरुष के कारण अर्थात ऑपोजिट सेक्स के कारण जातक को बदनामी का सामना करना पड़ता है। इनकी आंखें कमजोर होती हैं ऐसे व्यक्ति को व्यापार की अपेक्षा नौकरी में सफलता मिलते हैं| धार्मिक कार्यों में विश्वास रखते हैं।

वृश्चिक : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में वृश्चिक राशि होती है ऐसे व्यक्ति धार्मिक कार्यों में विश्वास रखते हैं| व्यापार की अपेक्षा नौकरी में तरक्की करते हैं यदि यह लेखन या प्रकाशन जैसे कामों में होते हैं तो तरक्की करते हैं| इनका बचपन सुख मे होता है युवावस्था में इन्हें मेहनत करनी पड़ती है| व्यापार के क्षेत्र में यदि यह होते हैं तो इन्हें उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं| नौकरी में तरक्की करते हैं पर धीरे-धरे| फ़िज़ूलखर्च और बुराइयों से ऐसे व्यक्ति दूर रहते हैं| जीवन में कई बार तीर्थ यात्रा भी करते हैं।

धनु : बारहवें घर में धनु राशि होती है वे तुरंत निर्णय लेने वाले होते हैं| परिस्थिति की गंभीरता को समझते हैं वक्त की नजाकत को समझते हैं और उसके अनुसार चलते हैं| समय, स्थिति जैसी होती है वैसे ही अपने आप को ढाल लेते हैं| इनके मित्रों की लिस्ट लंबी होती है| समाज में लोकप्रिय होते हैं| जीवन में इनकी सारी जरूरतें पूरी होती है।

मकर : जिनके बारहवें भाव में मकर राशि होती है वे धीरे-धीरे तरक्की करते हैं| इन्हें पिता का धन प्राप्त नहीं होता और न परिवार और रिश्तेदारों से ही कोई सहायता मिलती है| यह सेल्फमेड होते हैं| मेहनत पर विश्वास रखते हैं| इनका लक्ष्य इनकी आंखों के सामने बना रहता है| आय के स्त्रोत सीमित होते हैं| खर्च में पूरी सावधानी बरतते हैं| जिस कारण आय और व्यय में संतुलन बना रहता है। दूसरों की मदद करते हैं और यात्राओं पर भी इनका खर्च होता है।

कुम्भ : जिनके बारहवें भाव में कुंभ राशि होती है ऐसे व्यक्ति उदार हृदय के बड़े दिल के होते हैं| इनके संपर्क में जो लोग आते हैं वे इनसे प्रभावित रहते हैं| व्यापार में यह सफल नहीं होते| नौकरी या विश्ववद्यालय में अध्यापक होने पर तरक्की जल्दी होती है| खर्च पर इनका काबू नहीं होता जिसके कारण आर्थिक स्थिति डामाडोल रहती है| यदि यह व्यापार में होते हैं तो इन्हें विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है| पार्टनरशिप में धोखा मिलता है| धार्मिक कार्यों में ऐसे व्यक्तियों की गहरी रूचि होती है| जीवन में कई बार तीर्थ यात्रा भी करते हैं।

मीन : जिनके बारहवें भाव में मीन राशि होती है ऐसे व्यक्ति गुस्से वाले होते हैं जिसके कारण ही कई बार खुद को नुकसान पहुंचा देते हैं| इनका जीवन सादा होता है| उच्च पद पर पहुंचने का लालच इन्हें रहता है और कुछ समय में उच्चपद पर पहुंच जाते हैं| खर्च पर इनका नियंत्रण रहता है जिस कारण धन संचय होता ही रहता है| जो लोग इनके संपर्क में आते हैं उनकी यह सहायता करते रहते हैं और अपने स्वभाव से सबका मन मोह लेते हैं| ईमानदारी इनके जीवन में घुली मिली रहती है।

बारहवें घर में ग्रहों के अनुसार फलादेश 

सूर्य : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में सूर्य होता है वह तरह तरह की परेशानियों से घिरे रहते हैं| जीवन की शुरुआत से ही संघर्ष में उलझे रहते हैं| रिश्तेदारों और परिवार से ऐसे व्यक्ति को विशेष लाभ नहीं होता ना ही सूर्य इनके लिए हितकारी होता है| नौकरी में भी बारहवें भाव का सूर्या उतार चढ़ाव दिखाता है पर यदि सूर्य नीच राशि का हो तो योग कारक माना जाता है| ऐसा सूर्य जातक को बुद्धिमान और नीति वान बनाता है| साधारण कुल में जन्म होने पर भी ऐसा जातक प्रसिद्ध और दूरदृष्टि वाला होता है| बारहवें भाव का सूर्य आंखों की रोशनी को कम करता है| ऐसे व्यक्ति आसानी से दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं और धोखा भी खा लेते हैं ऐसे व्यक्ति धर्म के क्षेत्र में आगे होते हैं।

चंद्रमा : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में चंद्रमा होता है ऐसा व्यक्ति जल्दी तरक्की करता है। प्रेम के क्षेत्र में यह सफल रहते हैं और मनचाहा जीवनसाथी पाते हैं| इन्हें जीवन में उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं| जितना यह दोस्तों में प्रसिद्ध होते हैं उससे भी ज्यादा यह विपक्ष के लोगों में प्रसिद्ध होते हैं| विदेश से इनका संपर्क होता है| धार्मिक क्षेत्र में और सामाजिक क्षेत्र में यह प्रसिद्ध होते हैं।

मंगल : जिनके बारहवें भाव में मंगल होता है वे फिजूल खर्च करते हैं ना चाहते हुए भी इनका खर्च बढ़ा चढ़ा रहता है| जिसके कारण आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती| दोस्तों की संख्या सीमित होती है पर जो भी दोस्त होते हैं वह इन पर जान न्योछावर करने को भी तैयार रहते हैं| मित्रों से इन्हें पूरा सहयोग मिलता है| चरित्र संदिग्ध होता है| जीवन में कई समय ऐसे भी आते हैं जब इन्हें तुरंत निर्णय लेना पड़ता है और जिस कारण इन्हें हानि भी उठानी पड़ती है| बुढ़ापे में रक्त से संबंधित बीमारियां होती हैं।

बुध : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में बुध होता है वह बचपन से ही कई प्रकार के रोगों से घिरे रहते हैं| जीवन के शुरुआत से ही इन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है और उस मेहनत का फल इन्हें इतनी आसानी से नहीं मिलता| यदि यह व्यापार करते हैं तो रिश्तेदार या पार्टनर इन्हें धोखा देते हैं| जिससे इन्हें धन हानि होती है| नौकरी के लिए भी ऐसे जातक का बुध अच्छा नहीं कहा जा सकता| इनकी तरक्की धीरे-धीरे होती है| उच्च अधिकारियों से कम बनती है| विदेश से इनका संपर्क होता है जिस कारण इन्हें लाभ मिलता है| आंखों में विकार रहते हैं परंतु ऐसे व्यक्ति विद्वान, गुणी, चतुर होते हैं।

बृहस्पति : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में बृहस्पति होता है वे माता-पिता के परम भक्त होते हैं| जीवन की शुरुआत साधारण होती है| साधन विहीन कुल में जन्म होता है पर फिर भी ऐसे व्यक्ति अपनी प्रतिभा, मेहनत, योग्यता और सद्गुणों के कारण उच्च पद पर पहुंचकर अपनी स्थिति को मजबूत बना लेते हैं| जीवन का लक्ष्य एक पल के लिए भी इनकी आंखों से नहीं जाता| वाहन का योग प्रबल होता है और धीरे-धीरे जीवन की सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं| आय के स्तोत्र एक से अधिक होते हैं पर उदार हृदय होने के कारण खर्च बढ़ा चढ़ा रहता है| आर्थिक स्थिति साधारण होती है।

शुक्र : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में शुक्र होता है ऐसे व्यक्ति सौभाग्यशाली होते हैं| जीवन की शुरुआत साधारण स्थिति में होती है पर प्रतिभा के दम पर उच्च पद पा लेते हैं| इनका विवाह जल्दी हो जाता है| जीवनसाथी शिक्षित, समझदार मिलता है| ससुराल साधारण श्रेणी का होता है| साले से लाभ मिलता है| बच्चों के कारण जातक को प्रसिद्धि मिलती है| ऐसे व्यक्ति सेल्फमेड होते हैं| विदेश से व्यक्ति का गहरा संबंध होता है| जीवन में मित्र बहुत होते हैं| कपड़े, श्रृंगार, सजावट पर इनका खर्च अधिक होता है| धार्मिक कामों में भी ऐसे व्यक्ति आगे रहते हैं| तीर्थ यात्रा करते हैं।

शनि : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में शनि होता है ऐसे व्यक्ति धनवान और प्रसिद्ध होते हैं| इनका बचपन साधारण होता है| समाज और दोस्तों में बहुत प्रसिद्ध होते हैं| यात्रा के शोकिन होते है और यात्रा से लाभ भी मिलता है| शिक्षा की दृष्टि से ऐसे व्यक्ति साधारण होते हैं| नौकरी में यदि यह होते हैं तो तरक्की धीरे-धीरे होती है पर फ्रीलांसर के काम में सफल होते हैं| इन्हें अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखना पड़ता है।

राहू : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में राहु होता है ज्योतिष ग्रंथों में कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति शत्रु का संहार करने वाला होता है| जीवन में जो कुछ भी करता है वह अपनी प्रतिभा, सूझ-बुझ और हिम्मत के बल पर करता है| बचपन साधारण होता है और पिता का सुख ना के बराबर मिलता है| बुढ़ापे में इन्हें जीवन साथी का सुख भी कम ही प्राप्त होता है| आय के स्तोत्र बहुत होते हैं पर फिर भी इन का खर्च बढ़ा चढ़ा रहता है| आर्थिक स्थिति साधारण होती है| जीवन में तारीफ करने वालों का और दोस्तों का अभाव नहीं रहता| ऐसे व्यक्ति भगवान पर विश्वास रखने वाले होते हैं।

केतु : जिस व्यक्ति के बारहवें भाव में केतु होता है वह मेहनती होते हैं |जीवन में लगातार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है| ऐसे व्यक्ति दृढ़ता से मुश्किलों का सामना करते हैं| फ्रीलांसर या लेखन के काम से कमाई अच्छी होती है| यह सफल संपादक, लेखक या पत्रकार होते हैं| राजनीति के क्षेत्र में भी ऐसे व्यक्ति सफल होते हैं।

धन्यवाद !

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