आज हम कुंडली के दूसरे भाग के बारे में जानेंगे की कुंडली के दूसरे भाव से कैसे फलादेश किया जा सकता है दूसरे भागों में दूसरे भाव में ग्रहों की स्थिति
* दूसरे भाव से व्यक्ति की उपार्जित की हुई संपत्ति और धन के बारे में जाना जाता है। इस भाव से यह समझा जाता है कि व्यक्ति के जीवन का स्तर कैसा है, और वह अपने जीवन में आर्थिक तौर पर कितनी प्रगति कर सकता है, या कितना ऊंचा जा सकता है।
* दूसरे भाव से केवल धन के बारे में ही नहीं बल्कि व्यक्ति के जीवन में कैसी दुर्घटना होने वाली है, या किस तरह से दुर्घटना होगी, या किसी पदार्थ या किसी वाहन से टकरा जाने से दुर्घटना होगी। यह सब भी जाना जा सकता है।
* किसी बीमारी अथवा मृत्यु के समय कोई बीमारी के कारण मृत्यु होगी, इसका विचार भी इस भाव से किया जा सकता है।
* द्वितीय भाव का अंग्रेजी नाम 2nd house है और संस्कृत भाषा में दूसरे भाव को स्व, कुटुंब, भुक्त, अर्थ, नयन के नाम से जाना जाता है।
* दूसरे भाव को मारकेश भाव भी कहा जाता है या मारक स्थान भी कहा जाता है।
* दूसरे भाव को पणफर गृह भी कहा जाता है।
* दूसरे भाव में बृहस्पति, केतु कारक ग्रह होते हैं।
* चूंकि इस भाव से पैसा, द्रव्य का फलादेश किया जाता है इसलिए इस भाव को द्रव्य स्थान और इस भाव के स्वामी को द्रव्येश कहा जाता है।
* द्वितीय भाव से धन, कोश, पूर्वजों का धन, कुटुंब(परिवार), मित्र, पशु, बंधन, जेल यात्रा, आंख, नाक, आवास, सुंदरता, गायन, प्रेम, सुख, संचित धन (Savings), खरीद बेच, दलाली, भोजन, कलाओं में रुचि, आदतें, मृत्यु का कारण, एक्सीडेंट, रहस्य, मृत्यु का स्थान आत्मकथा का ज्ञान द्वितीय भाव से किया जाता है।
* पंरतु ध्यान दे दूसरे भाव का फलादेश करने के लिए दूसरे भाव में स्थित राशि, दूसरे भाव के स्वामी और स्वामी की स्थिति, दूसरे भाव में स्थित ग्रह है, और दूसरे भाव पर पड़ रहे ग्रहों की दृष्टि, कारक और अकारक और तटस्थ ग्रह, दूसरे भाव से संबंधित विशेष योग तथा दूसरे भाव की राशि का ध्यान से अध्ययन करने के बाद ही फलादेश करें।
नीचे आपको बताया जा रहा है कि दूसरे भाव में किस राशि का क्या फल होगा।
मेष: आर्थिक मामलों में मेष राशि दूसरे भाव में होना बहुत अनिश्चित है। ऐसे व्यक्ति धन तो बहुत प्राप्त कर लेते हैं पर उसे उड़ाते हुए भी देर नहीं लगाते। इनका भाग्य विवाह के पश्चात उदय होता है। ऐसे व्यक्ति का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है कि वह जरूरत से ज्यादा दिखावा करता है शत्रुओं के मामले में सावधान रहने पर भी हानि संभव हो सकती है।
वृष: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में वृषभ राशि होती है वह धन संचय में निपुण होता है, परंतु हाथ में पैसा नहीं टिकता। सत्य को नजरअंदाज कर देने से भी कठिनाइयां इनके जीवन में बढ़ जाते हैं। व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। ऐसे व्यक्ति को साझेदारी (पार्टनरशिप) के कार्यों में लाभ नहीं मिलता। जीवन के 18, 22, 24, 33 और 35 वें वर्ष में आर्थिक दृष्टि से यह सफल होते हैं।
मिथुन: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में मिथुन राशि होती है वह आर्थिक मामलों में कमजोर रहता है। स्त्री के कारण उसे आर्थिक हानि होती है। भावना प्रधान जीवन होने के कारण ऐसे व्यक्ति अर्थ संबंधी विषय को गंभीरता से नहीं लेते। जिसके कारण उसे कई बार हानि का सामना करना पड़ता है। नौकरी की अपेक्षा ऐसे व्यक्ति को अपना बिजनस या मिलिट्री सेवाएं से लाभ मिलता है। बीमा, लघु उद्योग, यूनिवर्सिटी या बिजली आदि के क्षेत्र से इसे लाभ मिलता है।
कर्क: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में कर्क राशि होती है ऐसे जातक आर्थिक मामलों में अपने लिए कंजूस होते हैं और यह जितना परिश्रम करते हैं , उतना लाभ इन्हें नहीं मिलता। जिसके कारण यह जो कुछ अर्जित करते हैं, उसे ठीक से जोड़ नहीं पाते। अचानक आने वाले खर्च से ऐसे व्यक्ति परेशान रहते हैं। स्टैंडर्ड को मेंटेन करने में कई बार इन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 20, 26, 27, 33, 34, 36, 44, 45, 53 और 54 वर्ष इनके महत्वपूर्ण होते हैं।
सिंह: दुसरे भाव में सिंह राशि वाले जातकों का बचपन बहुत ही आराम से व्यतीत होता है, और उन्हें आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता, पर जैसे-जैसे जीवन का मध्यकाल आता है, तब या तो यह अपना जोड़ा हुआ पैसा उड़ा देते हैं या अनिश्चित कार्यों में या व्यापार में गवा देते हैं। भावुकता के कारण इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। भाग्य इनके साथ होता है पास में पैसा ना होने के बाद भी जरूरत पड़ने पर इनके हाथ में पैसा आ जाता है। राजनीतिक कार्यों या राजकीय नौकरी से धन संजय होने के ज्यादा अवसर होते हैं।
कन्या: दूसरे भाव में कन्या राशि वाले व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से संपन्न नहीं होते, ऐसे व्यक्ति मेहनत से धन जोड़ते हैं लेकिन जीवन के शुरुआती वर्षों में इन्हें आर्थिक संकट देखना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति व्यापार से लाभ उठा सकते हैं। खासकर रेडीमेड कपड़ों की दुकान या फैंसी स्टोर से इन्हें फायदा मिलता है।
तुला: जिनके दूसरे भाव में तुला राशि होती है, वे लोग शान शौकत पर ज्यादा खर्च करते हैं। व्यापार में सफल हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति नौकरी करते हैं तो उन्हें व्यापारीक दृष्टिकोण पर भी साथ में विचार करना चाहिए। यह नई योजनाएं बना सकते हैं, पर उन्हें पूरा करने की कोशिश नहीं करते। भाग्य इनका साथ देता है तथा गलत तरीके से धनार्जन भी संभव है पर इनके हाथ में पैसा टिकता नहीं। मौज, शौंक, सुख सुविधा तथा सजावट पर जरूरत से ज्यादा खर्च कर देते हैं। होटल ढाबा रेस्टोरेंट या इस प्रकार के बिजनेस से इन्हें फायदा हो सकता है।
वृश्चिक: जिन व्यक्तियों के दूसरे भाव में वृश्चिक राशि होती है ऐसे व्यक्ति भी पैसे के मामले में डामाडोल रहते हैं। नौकरी की अपेक्षा इन्हें व्यापार से धन कमाना चाहिए। इनका व्यक्तित्व भी वाणिक प्रधान होता है और जीवन में इन्हें मित्रों और रिश्तेदारों से भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। बेकार की योजनाओं में धन लगाना इनके लिए बुरा होगा। यह छोटे व्यवसाय से भी लाभ उठा सकते हैं।
धनु: अगर दूसरे भाव में धनु राशि हो तो ऐसे व्यक्ति पैसे के मामले में लापरवाह होते हैं। पार्टनरशिप या किसी के साथ व्यापार करना इनके लिए अच्छा नहीं होता। साथ के लोग इन्हें धोखा ही देंगे लाभ नहीं दे सकते। ऐसे व्यक्ति जीवन में कई बार धोखा खाते हैं, इन्हें चाहिए कि यह किसी भी कागज पर सोच समझकर हस्ताक्षर करें। यदि इस राशि के जातक नौकरी करते हैं तो उन्हें पैसे को लेकर काफी उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। 24, 27, 28, 32, 33, 34, 35, 42, 48, 52, 50, 52, 58 जीवन के यह वर्ष इनके लिए श्रेष्ठ होते हैं।
मकर: जिन व्यक्तियों के दूसरे भाव में मकर राशि होती है ऐसे व्यक्ति बहुत सौभाग्यशाली होते हैं। यह बहुत बड़े-बड़े प्लांस बनाते हैं और उसमें सफल भी होते हैं। नौकरी की बजाय व्यापार या स्वतंत्र व्यवसाय इन के लिए बहुत लाभदायक होता है। ऐसे व्यक्ति को चाहिए कि वे प्लान मेंकर या योजना आयोग या किसी ऐसे विभाग में नौकरी करें जिनमें कल्पना और वास्तविकता का मिश्रण हो। जैसे राइटर।
कुंभ: जिन व्यक्तियों के दूसरे भाव में कुंभ राशि होती है, ऐसे व्यक्ति आर्थिक रूप से अच्छे होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की आय के रास्ते भी एक से ज्यादा होते हैं। पत्रकारिता, लेखन, प्रकाशन, व्यापार और राजनीति में यह पैसा जोड़ सकते हैं। इन जातकों को भाई तथा रिश्तेदारों से विशेष लाभ नहीं मिलता। विश्वास करना इनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। पार्टनरशिप इन के लिए बहुत लाभदायक होती है। आर्थिक रूप से जीवन के शुरुआत की अपेक्षा जीवन के मध्य का समय अच्छा होता है।
मीन: दूसरे भाव में मीन राशि वाले व्यक्ति अपनी भावनाओं और विचारों पर काबू रख सके तो जरूर सफल हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति डॉक्टर, वैद्य या दवाई के विक्रेता बनकर या शेयर मार्केट अथवा छोटे बिजनेस में पैसे लगाए तो फायदा हो सकता है। ऐसे व्यक्ति पैसे को जोड़ने में अच्छे होते हैं और 1 से अधिक तरीकों से धन लाभ प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति खर्चे पर पूरा काबू रखते हैं पर पैसे के पीछे लगे रहते हैं। इनके जीवन में शांति नहीं होती । तुरंत निर्णय लेने में भी यह सफल नहीं होते हैं। कई बार उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। 22, 24, 28, 32, 33, 34, 35, 42, 48, 55, 54 और 60 यह वर्ष जीवन के बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
दूसरे भाव में ग्रहों का फलादेश
सूर्य: द्वितीय भाव में सूर्य हो तो जातक पैसे के मामले में चिंतित रहता है और पिता के द्वारा एकत्रित किया गया धन उसे नहीं मिल पाता। जीवन के शुरुआत की अपेक्षा मध्य में अधिक सफल हो सकता है। मध्यकाल में उसे रोगों का भी सामना करना पड़ सकता है। नौकरी की अपेक्षा ऐसे व्यक्ति को व्यवसाय में सफलता मिलती है।
चंद्र: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में चंद्रमा होता है वह सुखी और बड़े परिवार का स्वामी होता है। ऐसा व्यक्ति स्त्रियों के मामले में सौभाग्यशाली होता है और स्त्रियों के संपर्क में ही पैसा एकत्रित कर पाता है। चंद्रमा व्यक्ति को सफल पत्रकार या लेखक भी बना सकता है और पुस्तक व्यवसाय (बुक सेलिंग), पब्लिशिंग और राइटिंग से भी उसका भाग्य उदय हो सकता है।
मंगल: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में मंगल होता है ऐसे व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से मंगल कमजोर बना देता है। वह पैसे एकत्रित करता है। वह पैसा उसके पास टिकता नहीं तथा जितनी जल्दी वह धन इकट्ठा करता है, उतनी ही जल्दी वह समाप्त भी हो जाता है। विद्या के क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति कमजोर रहते हैं, और विद्या प्राप्ति के बीच में कई तरह की बाधाएं आती हैं। बातचीत करने में तेज़ ऐसे व्यक्ति सफल सेल्समैन होते हैं।
बुध: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में बुध होता है, वह धार्मिक मामलों में कट्टर होता है और अर्थ संचय में निपुण होता है। उसे जीवन में धन का अभाव नहीं रहता। ऐसे व्यक्ति भाषण देने में अच्छे होते हैं और लोगों को अपने पक्ष में करने की कला भी इनमें बहुत अच्छी होती है। वह बड़े बड़े उद्योगों में धन लगाने के इच्छुक होते हैं और सफलता भी प्राप्त करते हैं।
बृहस्पति: जिस व्यक्ति के दूसरे भाव में बृहस्पति होता है वह धार्मिक नेता होता है, ऐसे व्यक्ति कवि, लेखक और सफल धर्मगुरु भी हो सकते हैं। ये राइटिंग से पैसे एकत्रित करते हैं, ये व्यक्ति सफल वैज्ञानिक भी होते हैं और उनकी खोज से विज्ञान को काफी बल मिलता है। ऐसे व्यक्तियों के मित्रों की संख्या अधिक होती है और उनकी सहायता भी प्राप्त होती है। ससुराल में भी इन को आर्थिक सहायता मिल सकती है, और पढ़ी-लिखी पत्नी होती है, जो धन एकत्र एकत्रित करने में सहायक होती है।
शुक्र: यदि किसी व्यक्ति के दूसरे भाव में शुक्र होता है, तो ऐसे व्यक्ति का परिवार विस्तृत होता है। वह दूसरों से काम निकलवाने में चालाक होता है और जीवन में इन व्यक्तियों को पैसे का अभाव नहीं रहता। यह जातक डॉक्टर, सफल पत्रकार या बिजनेसमैन हो सकते हैं। दृढ़ व्यक्तित्व प्रधान ऐसा व्यक्ति शत्रुओं को भी अपने वश में रखने का तरीका जानता है।
शनि: दूसरे भाव में शनि का होना अच्छा नहीं होता। यदि शनि अपने ही घर में हो तो जातक को धन हीन, परेशान और दुखी भी कर देता
है। व्यक्ति को जीवन में धन के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है और धन जुटाने के लिए जरूरत से ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है, पर जातक का बचपन दुख और अभावों में बीत जाता है लेकिन यौवन और वृद्ध अवस्था शुभ होती है उसे आर्थिक अभाव नहीं रहते।
राहु: जातक की कुंडली में यदि राहु दूसरे भाव में हो तो जातक रोगी और चिड़चिड़ा स्वभाव का होता है और परिवारिक जीवन में उसे कई दुख झेलने पड़ते हैं। यदि धन योग न हो तो आर्थिक दृष्टि से भी उसकी स्थिति डामाडोल ही रहती है। जातक बचपन में पैसे की पीड़ा झेलता है परंतु जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, उसके पास धन संचित होने लगता है, परंतु जीवन कष्ट में ही रहता है।
केतु: दूसरे भाव में केतु का होना जातक को कटु भाषी बना देता है। समय पड़ने पर वह धोखा भी दे देता है, पर दृढ़ निश्चय होता है, और एक बार जो मन में ठान लेता है, उसे पूरा करके ही छोड़ता है। पिता की संपत्ति ऐसे व्यक्ति को प्राप्त नहीं होती, अपने बाहुबल से ही वह धन कमाता है, और संचय करता है। जीवन के शुरुआती वर्षो की अपेक्षा ऐसे व्यक्ति जीवन के मध्य में धनी होते हैं। सूर्य उच्च का होकर ग्यारहवें भाव में हो तो जातक लखपति बन जाता है।
अगले आर्टिकल में आपको कुछ धन योग के बारे में जानकारी दी जाएगी जिससे आपको अपनी कुंडली का विश्लेषण करने में आसानी होगी। आप जान सकेंगे कि किस दशा और किस समय में भाग्य उदय होगा।
कुछ धन संबंधी योगों के बारे में भी आपको जानकारी दी जाएगी यदि वह योग आपकी कुंडली में होंगे तो किसी भी स्थिति में आपको धन प्राप्ति ही होगी।
धन्यवाद।
वैदिक ज्योतिष में पहले भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
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दुसरे भाव से सम्बंधित कुछ योग
Excellent for new learners ,Thanks and warm regards
ReplyDeleteThank you 🙏
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