प्रथम भाव का उद्देश्य, ग्रहों की दृष्टीयां, प्रथम भाव में ग्रहों का फल, - Tarot Duniya

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Saturday, May 21, 2022

प्रथम भाव का उद्देश्य, ग्रहों की दृष्टीयां, प्रथम भाव में ग्रहों का फल,


भाग  2      

वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव का उद्देश्य क्या है और हम आपको इसे विस्तार से समझाएंगे सभी राशियों, ग्रह और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में

पिछले भाग में हमने वृश्चिक लग्न तक के जातकों के बारे में बात की थी।

पहले भाव का उद्देश, पहले भाव में राशियो का फल, ग्रह और स्वामी

आज हम धनु, मकर, कुंभ, मीन इन राशियों का क्या फल रहता है और अलग अलग ग्रहों का प्रथम भाव में क्या फल होता है इसके बारे में बताएंगे।

साथ ही आप अपने लग्न का सही से फलादेश कर पाए इसके लिए आपको ग्रहों की दृष्टियों की जानकारी भी दी जाएगी।

धनु: धनु लग्न में जन्म लेने वाले लोगों का शरीर की बनावट सुंदर, चेहरा गोल और आकर्षक, बाल श्याम रंग के पैनी आंखें और मुस्कुराहट सुंदर होती है। इनके शरीर की बनावट साधारणत: स्थूल होती है। 



धनु लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति ज्यादातर दार्शनिक विचारों वाले नही होते। इनकी ईश्वर में दृढ़ आस्था होती है यह दूसरों पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं। 

निरंतर परिश्रम करते रहने पर ऐसे व्यक्ति की वणिक वृत्ति प्रधान होती है तथा हर कार्य में अपना भला-बुरा पहले सोच लेते हैं। ऐसे जातक सात्विक होते हैं, व्यर्थ का दिखावा फैशन व अपव्यय आदि से दूर रहते हैं, तथा अपने जीवन में सत्य, न्याय, इमानदारी, दयालुता और स्वतंत्रता को महत्व देते हैं।


मकर: मकर लग्न में जन्म लेने वाला जातक लंबा, ऊंचा, रक्तिम गौर वर्ण और कड़े केश होते हैं, ऐसे व्यक्ति की नाक चपटी, बड़ा सिर और पैनी आंखें होती हैं। शरीर से यह लोग पतले और फुर्तीला होते हैं। इनका स्वभाव उग्र परंतु जहां अपना पक्ष कमजोर पड़ता देखते हैं वहां नम्र भी हो जाते हैं।



ऐसे व्यक्ति का कोई भी कार्य निश्चित नहीं होता। यह अपने उद्देश्यों के प्रति सचेत रहते हैं तथा ऊंची ऊंची योजनाएं बनाने में सदा तत्पर रहते हैं। कमाते हैं, पर पैसा इनके पास टिकता नहीं और हर समय पैसे का अभाव बना रहता है। दिखावे और शान शौकत में यह अपव्यय कर डालते हैं।

 इनका वैवाहिक जीवन मधुर नहीं कहा जा सकता दोनों के विचारों में मतभेद बना रहता है। व्यापार में इनकी रूचि होती है पर यह उसमें सफल नहीं हो पाते। ऐसे जातक हीन भावना से भी ग्रस्त रहते हैं तथा बहुत अधिक बोलते हैं, बोलने की शक्ति पर इनका नियंत्रण नहीं रहता।

 यह अच्छे अभिनेता होते हैं, तथा क्षण क्षण में रूप बदलने में तेज़ होते हैं। इनमें स्वार्थ की भावना विशेष होती है।


कुंभ: कुंभ लगना के व्यक्ति लंबे, हृष्ट पुष्ट, प्रभाव युक्त चेहरा, उभरा हुआ मस्तक, सरल स्वभाव वाले होते है। ऐसे जातक सरल स्वभाव के होते हैं और नए-नए योजनाएं प्रस्तुत करते रहते हैं। यह लोग किसी को खरी-खरी कह देने में हिचकीचाते नहीं है।



कुंभ लग्न में जन्म लेने वाले जातक दार्शनिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे जातक शिक्षित, सभ्य, शांत, कुलीन और विचारों के धनी होते हैं। 

इन्हें अपने जीवन में निरंतर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कठिन से कठिन संघर्ष में उलझना इनका स्वभाव होता है। वृद्धावस्था में पेट और छाती संबंधी बीमारियां हो जाती हैं।

मीन: मीन लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति मध्यम कद, सुंदर घुंघराले बाल, उन्नत नासिका, छोटे छोटे दांत, पैनी आंखें, भव्य आकृति के धनी होते हैं। ऐसे व्यक्ति सहिष्णु होते हैं, यदि इनके साथ कोई बुराई का व्यवहार करता है तो भी यह अधिक भलाई ही करते हैं।



 मीन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति श्रद्धालु, ईश्वर में विश्वास रखने वाले, मेहमान नवाज करने वाले, सामाजिक रूढ़ियों का पालन करने वाले, बातचीत में प्रवीण और समझदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति ज्यादातर अपने आप में ही रहते हैं। 

आर्थिक मामलों में यह लचीले होते हैं इनका पारिवारिक जीवन सुखमय होता है। यह लेखन में रुचि रखते हैं तथा संगीत नाटक काव्य आदि में लगे रहते हैं। धन इनके पास आता है, पर टिकता नहीं इनमें भरपूर आत्मविश्वास होता है तथा यह जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं।

लग्न के अलावा लग्नेश की स्थिति, लग्न में जो ग्रह साथ में है उसका स्वभाव और अन्य भावो से उसका संबंध, लग्न पर किस ग्रह की दृष्टि है, सब कुछ जान कर ही फलादेश किया जाता है। यह केवल आपको मार्गदर्शन देने के लिए है।


 यदि कोई ग्रह लग्न में हो या लग्न को देख रहा हो तो उस ग्रह से संबंधित तत्व और स्वभाव का वर्णन यहां किया जा रहा है।


 * यदि लग्न में एक से ज्यादा ग्रह हो अथवा एक से अधिक ग्रह लग्न को देख रहे हो तो उन ग्रहों का मिलाजुला प्रभाव होगा।

सूर्य: ईमानदारी, क्रोध और शारीरिक पुष्टता, तुकमिजाज। यदि सूर्य लग्न में हो या लग्नेश हो तो जातक गौर वर्ण का होता है।

चंद्र: कोमल, कल्पनाशील, भावुक, सौम्य हृदय, मानसिक चिंता में रहने वाला और पेट से संबंधित रोगों से बंधा रहता है।

मंगल: सूखापन, चेहरे पर रक्तमय लाली, साहसी, स्वस्थ शरीर, भव्य आकृति, धोखा देने वाला, स्वार्थ साधन में लगा रहने वाला और अपने सिद्धांतों तथा भावनाओं पर दृढ़ रहने वाला।

बुध: सुंदर चेहरा, कुछ पीलापन लिए हुए गोरा रंग, छोटा कद और भरा हुआ शरीर।

बृहस्पति: ऊंचा लंबा और दृढ़ शरीर, पीतल के रंग जैसा वर्ण विशाल आंखें, उन्नत माथा, भव्य आकृति।



शुक्र: विशेष सुंदर, परिवार से प्रेम रखने वाला, सुंदर स्त्रियों के संपर्क में रहने का इच्छुक, कोमलता, गेहूंआ रंग।

शनि: श्याम वर्ण, स्थूल शरीर, छोटी-छोटी पर पैनी आंखें, लम्बा तगड़ा, अंदर खींचा हुआ सीना, चालाक।

राहु: शनि के जैसा ही व्यक्तित्व छोटी छोटी आंखें, लंबा, अंदर खींचा हुआ सीना, चालाक।

केतु: मंगल के समान ही रूखापन, लाल रक्तमय चेहरा, साहसी, स्वस्थ शरीर, भव्य आकृति, धोखा देने वाला, अपने सिद्धांतों तथा भावनाओं पर दृढ़ रहने वाला।


ग्रहों की दृष्टियां:

सूर्य: सूर्य अपने बैठे हुए स्थान से सातवें स्थान को देखता है

मंगल: मंगल अपने बैठे हुए स्थान से सातवें, चौथे, आठवें तीनों स्थानों को देखता है।

गुरु: गुरु अपने बैठे हुए स्थान से सातवें, पांचवें, नवे तीनों स्थानों को देखता है।

शनि: शनि अपने बैठे हुए स्थान से सातवें, तीसरे, दसवें तीनों स्थानों को देखता है।

केतु: केतु अपने बैठे हुए स्थान से पांचवे, सातवे और नौवें तीनो स्थानों को देखता है।

चंद्र: चंद्रमा अपने स्थान से सातवें स्थान को देखता है।

बुध: बुध अपने बैठे हुए स्थान से सातवें स्थान को देखता है।

शुक्र: शुक्र अपने बैठे हुए स्थान से सातवें स्थान को देखता है।

राहु: राहु अपने बैठे हुए स्थान से पांचवे, सातवें, नौवें स्थान को देखता है।

                                धन्यवाद।

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