वैदिक ज्योतिष में चतुर्थ भाव का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझ सकते हैं सभी राशियों, ग्रह और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में
नमस्कार,
आज हम जानेंगे चतुर्थ भाव का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझ सकते हैं सभी राशियों, ग्रह और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव मे
* चौथा भाव कुण्डली के बारह भावों में से सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि जीवन का आनन्द, सुख-शान्ति तथा मानसिक शान्ति इसी भाव से देखी जाती है। ज्योतिष के विद्यार्थियों को चाहिए कि वे इस भाव का बहुत बारीकी से अध्ययन करें और सम्बन्धित ग्रह तथा योगों का अध्ययन करें।
* चतुर्थ भाव से मुख्यतः अध्ययन किया जाता है माता, उसका सौभाग्य-दुर्भाग्य एवं सुख-दुःख जातक की अचल सम्पत्ति, शिक्षा, कलाएं व व्यापार, वाहन-सुख, जातक का घर, मानसिक शान्ति अथवा अशांति एवं इच्छाशक्ति, धन सम्बन्धित बाधाएं, गौ, एवं भूमि-सुख आदि।
* कुंडली के ग्रहों का संबंध किसके साथ है यह सावधानी पूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है, क्योंकि चतुर्थ भाव से ही ज्ञान और वाहन की जानकारी प्राप्त होती है, पर अधिकतर देखा जाता है कि अच्छी शिक्षा वाला और मेहनती व्यक्ति वाहन के सुख से वंचित रह जाता है। जबकि एक अमीर पिता का अनपढ़ पुत्र भी पूरा वाहन सुख लेता है इसी तरह एक ही भाव और एक ही जैसे ग्रह होते हुए भी दोनों बातों में अंतर देखा जाता है। इसीलिए चौथे भाव का अध्यन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
* चतुर्थ भाव का फलादेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। चतुर्थ भाव एवं उसकी राशि, चतुर्थ भाव का स्वामी व उसकी प्रकृति, चतुर्थ की स्थिति, चौथे भाव में स्थित ग्रह, चौथे भाव पर ग्रहों की दृष्टि, चौथे भाव में बैठे ग्रह का अन्य ग्रहों से सम्बन्ध, चौथे भाव में बैठे ग्रह पर अन्य ग्रहों की दृष्टि, तथा चौथे भाव से सम्बन्धित विशेष योग।
* जन्मकुण्डली के इसी भाव से व्यक्ति की सुख-समृद्धि का पता चलता है। व्यक्ति की आर्थिक एवं भौतिक सम्पन्नता किस प्रकार की होगी, उसे वाहन-सुख होगा या नहीं। यदि होगा, तो किस आयु में और वाहन किस स्तर का होगा, इस सब का ज्ञान इसी भाव से होता है। इसी के साथ व्यक्ति का अपना भवन तथा माता, माता की आयु, माता का स्वास्थ्य तथा माता के साथ व्यक्ति का सम्बन्ध एवं उससे प्राप्त होने वाले सुख-दुःख आदि का ज्ञान भी इसी भाव से किया जाता है।
* चंद्रमा चौथे भाव का कारक ग्रह है।
* जन्म कुंडली का चौथा भाव केंद्र स्थान होता है।
* यदि चौथे भाव में अकेला शनि बैठा हो तो जातक की वृद्धावस्था अत्यंत कष्ट में होती है।
सूर्य के साथ बैठे तीन ग्रहों की युति का फल
* यदि चौथे भाव में मंगल बैठा हो तो जातक का जीवन घोर कष्ट में होता है ऐसे जातक को अपने पिता से कोई सहायता नहीं मिलती और वह जीवन भर भाग्यहीन बना रहता है।
* चौथे स्थान को सुख स्थान या मातृ स्थान और उसके स्वामी को सुखेश कहा जाता है।
* चौथे भाव को अंग्रेजी में Mid Eaven और संस्कृत में सुख,पाताल, बुद्धि, माता स्थान कहा जाता है।
* घरेलू जीवन, अन्त:करण की स्थिति, मातृ-भूमि, वाहन, यान, मकान, जायदाद, बाग-बागीचा, पेट से सम्बन्धित रोग, यकृत, मनोरंजन, छल-कपट, दया, उदारता, गृह, सम्पत्ति, भूमि सम्बन्धी मामले, गर्दन और कन्धों का ज्ञान इसी भाव से किया जाता है।
चौथे भाव में राशियों के अनुसार फलादेश
मेष : जिस व्यक्ति के चौथे भाव में मेष राशि होती है ऐसे व्यक्ति के घर में कई जानवर होते हैं मतलब वह दूध देने वाले तथा सवारी के काम में आने वाले अनेक जानवरों को आश्रय देता है। ऐसे जातक कि या तो सगाई होकर टूट जाती है या उसका अपने जीवन में एक से ज्यादा स्त्रियों से संपर्क रहता है ऐसे व्यक्ति का जीवन सुख और शांति में रहता है, और वह तरह तरह के भोगों को भोगता है। व्यापार और खेती के कामों से ऐसे व्यक्ति को विशेष लाभ होता है।
वृषभ : जिस व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में वृषभ राशि होती है। ऐसे व्यक्ति को समाज में खास महत्व मिलता है और वह सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है। साहस, धीरता और गंभीरता में ऐसे व्यक्ति आगे रहते हैं और स्वस्थ शरीर और सुंदर और गुणी होते हैं। धार्मिक कार्यों में इनका विशेष सहयोग रहता है। व्रत, उत्सव आदि धूमधाम से मनाते हैं। शिवजी की पूजा इन व्यक्तियों के लिए विशेष लाभदायक होती है। पारिवारिक जीवन सुखी होता है और वृद्धावस्था में संतान का पूरा सहयोग मिलता है।
मिथुन : जिस जातक के चौथे भाव में मिथुन राशि होती है वह कामी और सुखी होते हैं। सुन्दर स्त्रियों की संगति में इन्हे आनंद मिलता है और जवानी में यह लोग व्यर्थ पैसा लुटाते है। खुशबूदार चीजों जैसे इत्र, तेल, परफ्यूम आदि पर इनका खर्चा अधिक होता है। आर्थिक दृष्टि से ऐसे व्यक्ति साधारण होते हैं। पैसे जोड़ने के लिए इन्हें बहुत परिश्रम करना पड़ता है। जीवन के अंत समय में इन्हें बहुत धन हानि सहन करनी पड़ती है।
कर्क : जिन जातकों की कुंडली में चौथे भाव में कर्क राशि होती है। वे अत्यधिक सुंदर होते हैं। गोरा रंग, आकर्षक चेहरा, खुशनुमा सब को लुभाने वाले होते हैं। जीवन में मित्रों की कमी नहीं होती। इनका जीवन साथी सुंदर, स्वस्थ गोरे रंग वाला होता है। जो रूपवान होने के साथ-साथ गुणवान भी होता है। जीवन बनाने में जीवन साथी का विशेष हाथ होता है।
सिंह : जिन व्यक्तियों के चौथे भाव में सिंह राशि होती है वह बहुत क्रोधी और चिड़चिड़ा स्वभाव के होते हैं । दोस्तों और भाइयों से उन्हें सहायता प्राप्त नहीं होती। इनका पारिवारिक जीवन भी ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता । इन व्यक्तियों की संतान पिता द्वारा व्यर्थ ही दंड पाती रहती है। ये साधारण स्तर के होते हैं और जीवन में ज्यादा प्रगति नहीं कर पाते । पुत्रों की अपेक्षा पुत्रियां अधिक होती हैं।
कन्या : जिन व्यक्तियों के चौथे भाव में कन्या राशि होती है वह बहुत ही सौभाग्यशाली होते हैं। इनके जीवन में पूरा सुख मिलता है। इनका पारिवारिक जीवन सुखी और संतोषजनक होता है । विवाह कम उम्र में ही हो जाता है और सुंदर सुशील जीवनसाथी प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों को पुत्री की अपेक्षा पुत्र संतान अधिक होती है। आर्थिक दृष्टि से यह श्रेष्ठ होते हैं । बचपन में हो सकता है व्यक्ति को पूर्ण सुख सुविधाएं ना मिली हो परंतु जीवन के 28वें वर्ष के बाद धन लाभ होता है और पूरा धन का सुख 36वें वर्ष से मिलता है। ऐसे व्यक्ति गुणी, शिक्षित और विवेकी होते हैं।
तुला : जिस जातक के चौथे भाव में तुला राशि होती है वह व्यक्ति एक सफल व्यापारी होता है। बचपन गरीबी में निकलने के बाद भी अपनी दृढ़ शक्ति से व्यापार को स्थिर करता है और चारों दिशाओं में फैलाता है । ऐसा व्यक्ति विनम्र और दयालु होता है , दूसरों की मदद करना इस का स्वभाव होता। और अपने पैसे का कुछ ना कुछ भाग धर्म-कर्म के कामों में लगाता है। छल कपट से दूर अच्छे कार्यों में लगा हुआ ऐसा व्यक्ति शिक्षित होता है। युवावस्था में ही सभी सुखों का भोग कर लेता है और वृद्धावस्था में सुखी और सफल होता है।
वृश्चिक : जिस व्यक्ति के चौथे भाव में वृश्चिक राशि होती है वह व्यक्ति हर समय परेशानी में रहता है। इनकी बुद्धि शांत नहीं रहती कई कठिनाइयों का सामना समय-समय पर करना पड़ता है । शत्रुओं से ऐसे व्यक्ति डर कर रहते हैं क्योंकि शत्रु ऐसे व्यक्ति पर हावी रहते हैं। प्रत्येक कार्य में पहले ही बाधा उत्पन्न हो जाती है और फिर वह कार्य संपन्न होने की ओर अग्रसर होता है। ऐसे व्यक्ति शुरुआत में मंदभागी होते हैं पर उम्र बढ़ते बढ़ते इनका भाग्य उन्नति की ओर अग्रसर हो जाता है। इनका पारिवारिक जीवन सुखी कहा जा सकता है।
धनु : जिन जातकों की कुंडली में चौथे भाव में धनु राशि होती है वह लड़ाकू स्वभाव के होते हैं झगड़ा करना संग्राम में वे सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति व्यापारी और लेनदेन करने वाले होते हैं जो दूसरों को ब्याज पर धन लेने देने का काम करते हैं। इनकी ज्यादातर उम्र मुकदमेबाजी में ही निकल जाती है। नौकरी की अपेक्षा ऐसे व्यक्ति व्यापार मे अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। डिफेंस की नौकरी में भी ऐसे व्यक्ति सफलता प्राप्त करते हैं। यह खुद अपने भाग्य के निर्माता होते हैं । इनका बचपन साधारण होता है पर समय और व्यक्ति को पहचानने की कला इनमें बहुत अच्छी होती है। इनका पारिवारिक जीवन सामान्य होता है।
मकर : जिस व्यक्ति की कुंडली में चौथे भाव में मकर राशि होती है वे बागवानी या बगीचों का मालिक होता है । इनकी नौकरी भी कुछ इसी प्रकार की होती है जिसका संबंध प्रकृति से हो । इन जातकों के मित्र अनगिनत होते हैं और जीवन में मित्र सहायक भी होते हैं। जीवनसाथी से मतभेद बना रहता है पर संतान से लाभ मिलता है।
कुम्भ: जिन व्यक्तियों की कुंडली में चौथे भाव में कुंभ राशि होती है। ऐसे व्यक्ति जीवनसाथी के मामले में सौभाग्यशाली होते हैं। इन्हें सुंदर और शिक्षित जीवनसाथी मिलता है। ससुराल से इन्हें धन प्राप्त होता है और विवाह के बाद भाग्य उदय होता है। इनका पारिवारिक जीवन सफल होता है।
मीन : जिन व्यक्तियों की कुंडली में चौथे भाव में मीन राशि होती है। ऐसे व्यक्ति नेवी में होते हैं अथवा जल संबंधी नौकरी करते हैं। गंभीर स्वभाव के होने के साथ-साथ ऐसे व्यक्ति शिक्षित भी होते हैं और अपने अच्छे गुणों के कारण समाज में सम्मान पाते हैं। आर्थिक दृष्टि से ऐसे व्यक्ति धनी होते हैं। नए विचारों का स्वागत हमेशा करते हैं। इनका जीवन पूर्ण सुखी कहा जा सकता है।
चौथे भाव में ग्रहों का फल
सूर्य : जिस व्यक्ति के चौथे भाव में सूर्य होता है वह अधिक अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहते हैं इनके दिमाग में अस्थिरता असंतोष बना रहता है । इनका जीवन अप्रसन्न रहता है। इनके मित्र जीवन में सहायक होते हैं पर उनका स्वभाव स्वार्थी होता है वह केवल अपने बारे में पहले सोचते हैं अपना फायदा देखने पर ही सहायता करते हैं जिसके कारण यह मित्रों का विशेष लाभ नहीं ले पाते। संगीत में इनकी रूचि होती है और गंभीर विषयों जैसे रिसर्च वाले विषयों में इनकी रूचि होती है। राजनीतिक जीवन में यदि होते हैं तो कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
चंद्रमा : जिन व्यक्तियों के चौथे भाव में चंद्रमा होता है ऐसे व्यक्तियों का जीवन चंद्रमा के कारण भावुक, दयालु और परोपकारी हो जाता है। दोस्तों और संबंधियों के साथ विचारों में समानता नहीं होती। इनमें आत्मविश्वास और आत्म संतोष की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। वे जीवन में हर समय हंसमुख बने रहते हैं। यदि चंद्रमा बलवान हो तो व्यक्ति को प्रख्यात और धनवान बना देता है।
मंगल : जिनके चौथे भाव में मंगल होता है वह साधारण होता है। मंगल के कारण व्यक्ति की प्रगति धीरे-धीरे होती है और शुरुआती जीवन में व्यक्ति उत्तम भोगो से वंचित रहता है। पिता और ऐसे जातक के विचारों में मतभेद रहता है। नौकरी के लिए और नौकरी में तरक्की के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है । आत्मविश्वास और हिम्मत तो होती है परंतु संघर्ष के कारण वह विचलित हो जाता है और दृढ़ता पूर्वक सामना नहीं कर पाता। माता के लिए जातक के दिल में आदर और श्रद्धा होती है। मंगल की दशा में इन व्यक्तियों को वाहन सुख की प्राप्ति होती है राजनीतिक क्षेत्र में भी ऐसे व्यक्ति सफल कहे जा सकते हैं। किस समय कौन सा काम करना है और किस तरह करना है दूसरों को अपने विचारों को मानने पर मजबूर कर देते हैं। यह खूब जानते हैं परिस्थिति और मनुष्य को कैसे नापा जा सकता है। इनका पारिवारिक जीवन सुखी और संतुष्ट होता है।
बुध : जिन व्यक्तियों के चौथे भाव में बुध होता है वह एक सफल कूटनीति वाले होते हैं और बुध कारक और उच्च का हो तो व्यक्ति राजदूत का पद पा लेता है और यदि बुध नीच राशि का हो या पापी हो तो जातक स्थानीय राजनीति में भाग लेकर सफलता प्राप्त करता है। शिक्षा की दृष्टि से भी यह ग्रह उत्तम है। यह व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। अपने भाषणों और लेखों के कारण राजनीति के क्षेत्र में तरक्की करते हैं। भाषण कला ऐसे भाषण कला में यह व्यक्ति बहुत तेज होते हैं और जनता को सम्मोहित करने की शक्ति इनमें होती है।
बृहस्पति : यदि व्यक्ति के चौथे भाव में बृहस्पति हो तो ऐसे व्यक्ति दार्शनिक व्यक्तित्व वाले होते हैं। हर समय उन्नति की ओर बढ़ते रहते हैं इनका स्वभाव ही ऐसा हो जाता है। जीवन में प्रसिद्धि पाते हैं और मित्रों और शत्रुओं दोनों में ख्याति प्राप्त करते हैं। वाहन और धन आदि की दृष्टि से इनका भाग्य अच्छा होता है। जीवन में तरह-तरह के भोग भोगते हैं। राजकीय नौकरी में धीरे-धीरे प्रगति पाते हैं और उच्च अधिकारी भी बन जाते हैं। धार्मिक कार्यों में इनकी गहरी रूचि होती है।
शुक्र : चौथे भाव में यदि शुक्र हो तो यह शुभ कारक कहा जाता है। इन व्यक्तियों का जीवन सुखी और आनंद में होता है। इन्हें सुंदर और गुणवान जीवनसाथी प्राप्त होता है जो इनकी तरक्की में सहायता प्रदान करता है । ऐसे व्यक्ति मातृ भक्त होते हैं जबकि कई बार माता के विचारों से इनके विचार नहीं मिलते फिर भी अपनी ओर से नम्र बने रहते हैं। मन के गहरे होते हैं। इनके मन की जान लेना आसान नहीं होता इनके जीवन और विचार पर राजनीति का असर रहता है। दोस्तों की इनके जीवन में कमी नहीं होती और वे इनके सहायक भी होते हैं।
शनि : जिन व्यक्तियों के चौथे भाव में शनि होता है वह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति बचपन में स्वस्थ नहीं रहा होगा। भाइयों का इनके जीवन में कोई महत्व नहीं रहता और ने भाइयों का इन्हें सहयोग प्राप्त होता है। मां को यह अपने जीवन से बाहर कर देते हैं। यह जीवन में सदा अप्रसन्न रहते हैं और मानसिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं। इन्हें जीवन भर कोई ना कोई चिंता लगी रहती है मानसिक परेशानियों के साथ-साथ इन में हीन भावना अधिक हो जाती है।
राहु : यदि व्यक्ति के चौथे भाव में राहु हो तो व्यक्ति अच्छे व्यवहार का नहीं होता बोलने में असभ्य होता है । कई बार इनकी बोलने के कारण हीअपना कार्य बिगाड़ देते हैं । धोखा देने में ऐसे व्यक्ति कुशल होते हैं और समय पड़ने पर कोई भी झूठ बोल सकते हैं। राजनीति के क्षेत्र में यह सफल हो सकते हैं। इनके पुत्रों की अपेक्षा पुत्रियां अधिक होती हैं।
केतु : यदि चौथे भाव में केतु हो तो व्यक्ति जीवन में परेशान रहता है और मानसिक परेशानियां बढ़ती ही रहती हैं। व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त रहता है। माता पिता के साथ व्यक्ति के संबंध अच्छे नहीं कहे जा सकते पर यह व्यक्ति पूर्ण रूप से मातृ भक्त होता है। जीवन में धन की कमी रहने पर भी ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि और सफ़लता पाकर सबको हैरान कर देते हैं। इनके जीवन का अंतिम समय असफल और कष्टदायक होता है।
धन्यवाद!
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Very nice
ReplyDeleteAti sundar
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