वैदिक ज्योतिष में सातवें घर का उद्देश्य क्या है हम इसे विस्तार से समझाएंगे, सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में
नमस्कार
आज हम कुंडली के सप्तम भाव के बारे में बताएंगे कि सप्तम भाव का उद्देश्य क्या है।
* जहां लग्न मानव के खुद के व्यक्तिव को दिखाता है, वही ठीक सामने उसके बराबर बैठा व्यक्ति है, जो है उसका जीवनसाथी। जीवन में सुख दुख मे जो हमेशा साथ खड़ा रहता है, जो की व्यक्ति का आधा अंग है। यदि स्त्री की कुंडली है तो सप्तम भाव उसका पति है। यदि पुरुष की कुंडली है तो सप्तम भाव पत्नी है।
* सप्तम भाव से जीवनसाथी, दाम्पत्य जीवन, दाम्पत्य सुख, पार्टनर, यौन इच्छाएं, यौन सुख, जननांग, मूत्राशय, ससुराल का नुकसान, आयु का अंत, पिता की आय व लाभ, दैनिक रोजगार, व्यवसाय का विस्तार, बड़े भाई का भाग्य, विदेश में मानसिक परेशानियां, परिवार के (रोग, कर्ज, शत्रु, नौकर),छोटे भाई की संतान,शिक्षा, बुद्धिमता, नानी,जातक के सारे सुख,मां के सुख वाहन प्रॉपर्टी, दूसरी संतान, पहली संतान का पराक्रम रोग कर्ज शत्रुओं का विस्तार, मामा/मौसी का संचित धन इसी भाव से देखा जाता है।
* इस भाव से व्यक्ति के गृहस्थ जीवन का पता लगाया जा सकता है। विवाह कब होगा, जीवनसाथी कैसा होगा, जीवनसाथी के साथ संबंध कैसे होंगे, जीवनसाथी की आयु, स्वास्थ्य, व्यवहार, मानसिक स्थिती इसी भाव से देखी जाती है।
* सप्तम भाव के कारक ग्रह शुक्र है।
* सप्तम भाव में शनि बलवान होते हैं और श्रेष्ठ फल प्रदान करते हैं।
* सप्तम भाव केंद्र स्थान होता है।
* सातवें भाव में अकेला शुक्र बैठा हो तो व्यक्ति का गृहस्थ जीवन अच्छा नहीं होता और पति पत्नी में सदा अनबन बनी रहती है।
* मंगल यदि सातवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति का जीवन कष्ट में होता है ऐसे व्यक्ति को अपने पिता से कोई सहायता नहीं मिलती।
* शनि और राहु को विच्छेदात्मक ग्रह माना जाता है यह जिस भाव में होता है उस उससे संबंधित फल में विच्छेद करता है जैसे यदि सातवें भाव में राहु हो तो ऐसे व्यक्ति का अपनी पत्नी या पति से विच्छेद हो जाता है।
* सातवें भाव के स्वामी को सप्तमेश कहते हैं।
* सातवें भाव को अंग्रेजी में 7th House और संस्कृत में जायित्र, अस्त, सप्तम कहा जाता है।
* सातवें भाव से प्रेम से संबंधित बदनामी, प्रेम में सफलता, जीवनसाथी का रूप रंग, साधारण प्रसन्नता, बवासीर आदि का फलादेश किया जाता है।
* इस भाव में वृश्चिक राशि बलवान मानी जाती है।
* सातवें भाव का फलादेश करने से पहले सप्तम भाव में बैठे ग्रह, सप्तम भाव के स्वामी, सप्तम भाव पर ग्रहों की दृष्टियां, सप्तमेश जहां बैठा हो वह भाव, सप्तमेश पर ग्रहों की दृष्टि, सप्तमेश और अन्य ग्रहों का दृष्टि संबंध, भाव दशा, महादशा, अंतर्दशा इन सब का इन सब को देख लेना अनिवार्य है।
राशियों के अनुसार फल
मेष : यदि सातवें भाव में मेष राशि हो तो जातक का जीवन साथी क्रूर स्वभाव का और क्रोधी होता है। बात बात पर जिद करने वाला, बात बात पर नाराज होने वाला, घर में अशांति बनाए रखना उसका स्वभाव होता है। ऐसा जीवन साथी गहराई से सोचने समझने के बाद काम करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति की दृष्टि स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पाती। धन से ऐसे व्यक्ति का अधिक लगाव होता है। ऐसे व्यक्ति का स्वभाव ऐसा रहता है कि अधिक से अधिक धन एकत्र किया जाए और प्रदर्शन किया जाए परंतु फिर भी वैवाहिक जीवन मधुर रहता है।
वृषभ : जिन व्यक्तियों के सातवें भाव में वृषभ राशि होती है उन्हें सुंदर और गुणवान जीवन साथी प्राप्त होता है। वह तीखे नैन नक्श और अपने रूप पर गुमान करने वाले होते हैं। बात करने में मधुर भाषी और तेज होते हैं। कला आदि में भी वह निपुण होते हैं। नृत्य संगीत आदि में उनकी रूच होती है,और साथ ही नए नए व्यंजन खाने और बनाने का शौक होता है ऐसे व्यक्ति भावुक और काम कला में प्रवीण होते हैं।
मिथुन : व्यक्तियों के सातवें भाव में मिथुन राशि होती है तो ऐसे व्यक्ति को सुशील और समझदार जीवनसाथी प्राप्त होता है हालांकि वे अधिक सुंदर नहीं कहे जा सकते परंतु नैन नक्श उपर हुए और स्वस्थ होने के कारण उन्हें आकर्षक कहा जा सकता है।
ससुराल पक्ष मध्यवर्ग का होता है ससुराल से बहुत अधिक लाभ प्राप्त नहीं होता पर फिर भी वह जातक के पक्ष में होते हैं इनका जीवन साथी इनके लिए सौभाग्यशाली होता है उसे सुंदर कपड़े पहनने का शौक होता है अपने आप को सुंदर से सुंदर रूप में उपस्थित करना इनका स्वभाव होता है।
सभी गुणों से युक्त ऐसे जीवनसाथी जीवन मे सफल होते है, पर कामकला मे वे कठोर होते है। अतृप्त इच्छा रखते हुए ऐसे व्यक्ति जीवन में सफ़लता पाते हैं।
कर्क : जिस जातक की कुण्डली के सप्तम भाव में कर्क राशि
होती है, उसका जीवनसाथी अत्यन्त सुन्दर होता है। लम्बी, छरहरी, तीखे नाक-नक्श वाली/वाला तथा सुन्दर मधुर स्वभाव ऐसा जीवनसाथी सहज ही सबका मन मोह लेने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति अत्यन्त भावुक होते है। कठोरता अथवा रूखेपन से उसे वश में नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत भावनाओं के द्वारा उसे नियन्त्रण में लाया जा सकता है। सरल चित्त के ऐसे व्यक्ति कल्पनाप्रिय होते है तथा हवा में महल बनाना, व्यर्थ का प्रदर्शन करना आदि उसका स्वभाव होता हैं। जीवन की कठोर वास्तविकताओं को वह झेल नहीं पाते। यदि जातक पुरुष है तो इनकी पत्नी आभूषणों से अत्यन्त प्रेम करने वाली, सुन्दर वस्त्रों की इच्छुक ऐसी स्त्री सौभाग्यशालिनी होती है।
सिंह – जिस जातक की कुण्डली के सप्तम भाव में सिंह राशि हो,उसे क्रोधी स्वभाव का जीवनसाथी मिलता है, साथ ही वह तुनकमिज़ाज भी होता है। यदि ज़रा-सा भी कार्य उसकी इच्छा के अनुरूप नहीं होता है, तो वह रूठ जाता है, क्रोधित हो जाता है अथवा कलह से घर के वातावरण को विषाक्त बना देता है। आपके मित्रों, संबंधीयों की पार्टियों में वह एकरस न होकर अलग-अलग-से दिखाई देते है।
ऐसे व्यक्ति साहसी होते है तथा विपत्ति के समय भी धैर्य को अक्षुण्ण बनाये रखते है। धन से उसे विशेष मोह होता है। मानव मन को परखने में वह प्रवीण होते है तथा समय के अनुरूप अपने-आपको ढालने में चतुर होते है। मस्तिष्क से वह स्वस्थ एवं बुद्धिमान् कहे जा सकती है।
कन्या : जिस जातक की कुण्डली के सप्तम भाव में कन्या राशि हो, उसे सुन्दर एवं सुशील जीवनसाथी मिलता है। कोमलांगी, लज्जाशील, मधुरभाषी एवं सौभाग्ययुक्त ऐसी स्त्री घर में सम्पदा बढ़ाती है। इस स्त्री के सन्तान देरी से होती है, फलस्वरूप सन्तान की चिन्ता से पीड़ित रहती है। हंसमुख स्वभाव की ऐसी स्त्री सत्य बोलने वाली, पति को सत्पथ पर
ले जाने वाली तथा नीति एवं मर्यादायुक्त बात कहने वाली होती है। शृंगार इसे प्रिय होता है तथा साधारण शृंगार में ही इसका रूप खिल उठता है। ऐसी व्यक्ति को धन की लालसा रहती है, यह लालसा उसके अन्य सद्गुणों पर हावी नहीं होती। इनके साथ में भाव में कन्या राशि होती है ऐसे व्यक्ति का जीवनसाथी दृढ़ मन वाले और हर बाधा में अपने जीवन साथी का साथ देने वाले होते हैं।
तुला : जिन व्यक्तियों के सातवें भाव में तुला राशि होती है इन्हें सुंदर, सुशील और पढ़ा लिखा जीवनसाथी मिलता है। उसके नैन नक्श तीखे, गोरा रंग और आकर्षक मुस्कुराहट होती है। ऐसे व्यक्ति बहुत आसानी से दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। धार्मिक कामों में भी ऐसे लोगों की रूचि होती है और व्रत दान पुण्य करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा उदार स्वभाव के होते हैं । इनके संपर्क में जो भी आता है , वह इनकी सहायता करने के लिए तत्पर रहता है। वे जीवन में संघर्ष करते हैं और अपने जीवनसाथी के लिए सच्चे सहायक सिद्ध होते हैं।
यदि यह फलादेश पुरुष की कुंडली से किया जाना हो तो जिनक सातवें भाव में तुला राशि होती है, ऐसे व्यक्तियों की स्त्री को आभूषण अति प्रिय होते हैं और विलासी स्वभाव की होती है। इत्र, सेंट आदि सुगंधित पदार्थ इन्हें अत्यधिक प्रिय होते हैं। अपने घर की साथ सजावट पर विशेष ध्यान देते हैं और बहुत मेहनती होती हैं। इनका संतान सुख भी श्रेष्ठ होता है।
वृश्चिक : जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के सातवें भाव में वृश्चिक राशि होती है इनके जीवनसाथी अल्पशिक्षित होते हैं। उसकी ने कलाओं में रुचि होती है और ना उसे कला का कोई ज्ञान होता है। भाग्य भी उनका साथ नहीं देता। बचपन से ही उन्हें जीवन की सच्चाई, वास्तविकताओं का सामना करना पड़ता है और जो भी काम करना चाहते हैं, उसमें कुछ ना कुछ अड़चनें होती रहती हैं। इन्हें सर दर्द और पेट दर्द आदि रोग भी हो सकते हैं।
धनु : जिन व्यक्तियों के सातवें भाव में धनु राशि होती है उनके जीवनसाथी अहंकारी और अपने आप पर गर्व करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्तियों के स्वभाव को थोड़ी सी भी ठेस लग जाने पर वे गुस्सा हो जाते हैं, परंतु ऐसे व्यक्ति सुंदर, अल्पशिक्षित और कला में रुचि लेने वाले होते हैं।
व्यक्ति को धनी ससुराल नहीं मिलता परंतु ससुर जीवन के आर्थिक पक्ष में सहायक होते हैं।
उनकी संतान अच्छी और सद्गुणी होती है।
मकर : जिस व्यक्ति की कुंडली में सातवें भाव में मकर राशि होती है उनका जीवनसाथी अल्प शिक्षित होते हैं। यदि यह पुरुष की कुंडली से फलादेश किया जा रहा है तो ऐसे व्यक्ति की स्त्री साज सज्जा पर विशेष ध्यान देने वाली और आभूषणों से सर्वाधिक प्रेम करने वाली होती है। आभूषणों की इच्छा उसकी दिल से समाप्त नहीं होती।इनके जीवन साथी क्रोधी स्वभाव के और ऑकल्ट साइंस ( ज्योतिष, तंत्र) में विश्वास रखने वाले होते हैं। अपने सम्मान की सुरक्षा ऐसे व्यक्ति प्राण देकर भी करते हैं। खुद पर मजाक उन्हें सहन नहीं होता। जो भी इनके अहम को ठेस पहुंचाता है उनके लिए यह बहुत बुरे हो जाते हैं। पुराने शत्रुओं बैरियों को यह नहीं भूलते समय पड़ने पर बदला ले लेते हैं।
कुम्भ : जिन व्यक्तियों के सातवें भाव में कुंभ राशि होती है उनके जीवनसाथी संघर्षशील और मुश्किलों का सामना दृढ़ता से करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को ईश्वर से डर और बड़ो पर श्रद्धा होती है। पुण्य के कामों में इनकी रूचि होती है और यथाशक्ति से यह दूसरों की सहायता करते हैं। ऐसे व्यक्तियों में अहंकार की भावना प्रबल होती है। यह चाहते हैं कि यह जो भी कहे लोग उसे माने इन के विचारों को प्राथमिकता दें। सुंदर, सुशील और गुणवान ऐसे व्यक्ति श्रेष्ठ संतान वाले होते हैं।
मीन : जिन व्यक्तियों की कुंडली के सातवें भाव में मीन राशि होती है ऐसे व्यक्ति के जीवन साथी अपने धर्म के प्रति कट्टर होते हैं। दान पुण्य में इनकी आस्था होती है। इनका रंग ज्यादा गोरा नहीं कहा जा सकता परंतु यह नए नक्श से बहुत सुंदर होते हैं और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। तैराकी में इनकी रूचि होती है। यदि यह किसी पुरुष की कुंडली से फलादेश किया जा रहा है तो ऐसे व्यक्ति की स्त्री अत्यंत चंचल होती है, समय और स्थिति के अनुसार उत्तर देने में तेज होती है। गुणी संतान को उत्पन्न करने में ऐसी स्त्री भाग्यशाली होती है।
सातवें भाव में ग्रहों का फल
सूर्य : कुंडली में सातवें भाव में सूर्य होता है उन्हें सुंदर, शिक्षित और सुशील जीवनसाथी प्राप्त होता है। उनका वैवाहिक सुख क्षीण होता है। सातवें भाव पर यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसे व्यक्ति का दो बार विवाह होता है। ऐसे व्यक्ति चंचल और विलासी स्वभाव के होते हैं। ऐसे व्यक्ति जल्दी निर्णय लेने वाले नहीं होते। गुस्से में या जल्दबाजी के कारण यह अपने काम खुद ही बिगाड़ लेते हैं और बाद में पछताते हैं। जीवन साथी के साथ इनके संबंध मधुर नहीं रहते, विचारों में मतभेद रहता है। इनका स्वभाव क्रोधी होता है, संतान सुख इन्हें मध्यम स्तर का ही होता है। संतान देरी से होती है। यदि यह कुंडली किसी स्त्री की हो तो ऐसे स्त्री के एक से दो बार गर्भपात संभव है।
चन्द्रमा : जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में सातवें भाव में चंद्रमा होता है उसे जीवन साथी का पूरा सुख प्राप्त नहीं होता। जबकि ऐसे व्यक्ति सुंदर, सुशिक्षित और सुशील होते हैं। भाग्य भी उनके साथ होता है। लग्न पर चंद्रमा की दृष्टि पड़ने के कारण सुंदर भी होते हैं परंतु फिर भी यह विवाह के लिए अच्छा नहीं होता।
मंगल : जिन व्यक्तियों की कुंडली के सातवें भाव में मंगल होता है ऐसे व्यक्ति का जीवनसाथी क्रोधी स्वभाव का और लड़ाई झगड़ा करने वाला होता है। यदि मंगल सातवें भाव में हो और नीच राशि का या शत्रु राशि में या अष्टमेश होकर बैठा हो। यानी अष्टम भाव में होकर बैठा हो तो व्यक्ति के एक से अधिक विवाह होते हैं, पर अगर सातवें भाव में मंगल खुद की राशि का होकर बैठा हो तो व्यक्ति जीवनसाथी के कारण दुखी रहता है। और उसका दांपत्य जीवन भी साधारण ही होता है।
बुध : जिन व्यक्तियो के सातवें भाव में बुध होता है उन्हे सौभाग्यशाली और सुंदर पढ़े-लिखे जीवनसाथी मिलता है। जो कला में निपुण होते हैं और दूरदर्शी होते हैं। जीवनसाथी के प्रत्येक कार्य में इनका सहयोग रहता है। ऐसे व्यक्ति धन जोड़ने के इच्छुक होते हैं। घर की सजावट पर यह धन व्यय करते हैं। राजनीति के क्षेत्र में भी ऐसे व्यक्ति सफल हो सकते हैं। कुल मिलाकर व्यक्ति अपने जीवन साथी की ओर से भी संतुष्ट होता है।
बृहस्पति : जिस व्यक्ति के सातवें भाव में बृहस्पति होता है ऐसे व्यक्ति को समझदार जीवनसाथी मिलता है जो कि मानवीय गुणों से भरपूर होता है इन्हें बहुत संतान होती है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और राजा के समान जीवन जीता है। यह या तो ऑफिसर होते हैं या विद्वान होते हैं या कलाप्रिया होते हैं।
शुक्र : जिन व्यक्तियों की कुंडली में सातवें भाव में शुक्र होता है ऐसे व्यक्ति का जीवनसाथी भावुक, सहनशील, साफ ह्रदय, सुंदर, गोरा रंग और धनवान होते हैं। ऐसा व्यक्ति खुश रहने वाला और गुणी संतान को जन्म देता है।
शनि : जिस व्यक्ति के सातवें भाव में शनि होता है ऐसे व्यक्ति अधिकतर जीवनसाथी के सुख से वंचित रहते हैं अगर शनि निर्बल हो या सप्तम भाव पर अन्य स्थानों पर बैठे शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो हो सकता है कि इन्हें जीवन साथी का सुख प्राप्त हो परंतु फिर भी जीवनसाथी के कारण जीवन में क्लेश बना रहता है। यह शादीशुदा जीवन का पूरा आनंद नहीं ले सकते ऐसे व्यक्ति कठोर ही देखें और राजनीति में तेज होते हैं।
राहु : जिन व्यक्तियों की कुंडली में सातवें भाव में राहु हो तो ऐसे व्यक्ति को रोगी जीवनसाथी प्राप्त होता है और धन हानि कराता है। ऐसे व्यक्ति छोटी सोच वाले हो सकते हैं अगर कोई शुभ ग्रह उसे नहीं देख रहा हो तो ऐसे व्यक्ति विलासी स्वभाव के भी होते हैं। साज सज्जा में इनकी खास रूचि होती है और धन इन्हें बहुत अधिक प्रिय होता है। बचपन में इन्हें बहुत परिश्रम करना पड़ता है। यदि इनमें सद्गुण होते हैं तो उनके कारण इन्हें कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जिनके सातवें भाव में राहु होता है ऐसे व्यक्ति स्वस्थ, सुंदर, साहसी और ईश्वर में विश्वास रखने वाले होते हैं।
केतु : जिनके सातवें भाव में केतु होता है ऐसे व्यक्ति को सामान्य ससुराल मिलता है और जीवनसाथी की ओर से चिंता बनी रहती है। यदि वृश्चिक राशि का केतु सातवें भाव में हो तो व्यक्ति को ससुराल से सहायता मिलती है। ऐसा व्यक्ति सफल सेल्समैन हो सकता है। जीवन में इन्हें घूमना फिरना पड़ता है और आजीविका के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पैर में कुछ लंगड़ापन या पैरों में कमजोरी हो सकती है। आय से अधिक खर्च बढ़ा चढ़ा रहता है पर व्यक्ति बहुत मेहनती होता है। हिम्मत, साहस, कौशल, परिश्रम के बल पर अपनी स्थिति को अपने अनुकूल बना लेता है।
धन्यवाद!
वैदिक ज्योतिष में पहले भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में दुसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में तीसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में चौथे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में पांचवे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में छठे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में आठवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में नवम भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में दसवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में ग्यारहवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
दुसरे भाव से सम्बंधित कुछ योग
वैदिक ज्योतिष में बारहवें भाव का उदेश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
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