वैदिक ज्योतिष में नवम भाव का उद्देश्य क्या है और क्या आप इसे विस्तार से समझा सकते हैं? सभी राशियों, ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में?
नमस्कार,
आज हम वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवें भाव का उद्देश्य क्या है इसे विस्तार से समझाएंगे सभी राशियों ग्रहों और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में
* कुंडली का नौवां भाव महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन का आधार उसका भाग्य है परंतु कुछ लोग इसे पिता स्थान भी मानते हैं। शास्त्रों में इस भाव को पूरा महत्व दिया गया है। भाग्य या पिता के बिना कोई भी व्यक्ति कुछ नहीं है।
* नवम भाव से धर्म, भाग्य, पिता, परिवार की मानसिक परेशानियां, छोटे भाई या बहन का जीवनसाथी, छोटे भाई के बिजनेस पार्टनर, मां के रोग, मां के कर्ज, मां के शत्रु, मां के नौकर, मां की नौकरी, संतान की संतान अर्थात पोता/पोती, सरकारी नौकरी, संतान की शिक्षा, संतान की बुद्धिमता, मामा के सुख, कर्ज लेकर मिलने वाले सुख, जीवनसाथी के छोटे भाई या बहन, जीवनसाथी का पराक्रम, ससुराल का विस्तार, ससुराल की संपत्ति, ससुराल का इकट्ठा किया हुआ धन, कर्मों का प्रारब्ध, व्यवसाय में भाग्य का साथ, बड़े भाई की आय व लाभ, जातक की आय व लाभ का विस्तार, जातक का विदेश में व्यवसाय यह सब देखा जाता है।
* नवम भाव से यह भी जाना जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन में क्या काम करेगा, नौकरी करेगा या व्यापार करेगा, कौन सा कार्य उसके लिए सही होगा, उसका भरण पोषण अर्थात घर का खर्च किस आधार पर होगा, किस व्यवसाय से किस नौकरी द्वारा होगा, कैसा होगा इस सब का ज्ञान इसी भाव से होता है।
* कुंडली का नौवां भाव भाग्य भाव भी होता है। व्यक्ति के जीवन में अचानक धन लाभ या लॉटरी आदि का योग है या नहीं है। भाग्य किस आयु में और कब उदय होगा।
* नवम भाव से व्यक्ति के धर्म-कर्म के बारे में भी पता चलता है। धर्म के मामले में समाज सेवा के मामले में व्यक्ति कितना सम्मान पा सकता है।
* नवम भाव में सूर्य और गुरु कारक ग्रह होते हैं।
* नवम भाव को त्रिकोण स्थान भी कहा जाता है।
* यदि कोई पाप ग्रह त्रिकोण भाव का स्वामी हो या त्रिकोण भाव में बैठा हो तो वह शुभ हो जाता है।
* यदि कोई ग्रह केंद्र स्थान में बैठकर त्रिकोण के स्वामी के साथ संबंध स्थापित कर लेता है तो वह विशेष योग कारक बन जाता है अर्थात यदि दसवें भाव का ग्रह नौवें भाव के स्वामी के साथ संबंध स्थापित कर लेता है तो वह विशेष योग कारक बन जाता है।
* यदि कोई ग्रह त्रिकोण में बैठकर केंद्र के स्वामी के साथ संबंध स्थापित कर लेता है तो वह न्यून योगकारक होता है अर्थात यदि नौवें भाव में कोई ग्रह बैठकर दसवें भाव के स्वामी के साथ संबंध स्थापित कर लेता है तो वह न्यून योगकारक होगा।
* अगर दो त्रिकोण के स्वामी एक साथ बैठे हो अर्थात पांचवें और नौवें भाव के स्वामी एक साथ बैठे हो तो अनुकूल फल प्रदान करते हैं।
* नवम भाव को अंग्रेज़ी में 9th house और संस्कृत में धर्म, गुरु, शुभ, अंक, भाग्य, तप कहा जाता है।
* नवम भाव से भाग्य की उन्नति, धर्म, परिवर्तन, धार्मिक कट्टरता, ईश्वर प्राप्ति, गुरु, तप, तीर्थ यात्रा, पाप, ऐश्वर्य, मानसिकता, हवाई यात्रा, पिता का सुख, दान, पुण्य, यज्ञ, प्रसिद्धि, सहानुभूति, नेतृत्व, उच्च पद, जोश, साहस, सूझ बूझ, विवेक, उच्च विचार, सद्गुण, आदेश, अधिकार का फलादेश किया जाता है।
* यदि नवम भाव का स्वामी कहीं भी बैठकर दशम भाव के स्वामी को देखता है उस पर दृष्टि रखता है तो वह योगकारक बन जाता है।
* नवम भाव का अध्ययन करने से पहले, फलादेश करने से पहले नवम भाव की राशि, नवम भाव का स्वामी, नवम भाव में बैठे ग्रह, नवम भाव पर ग्रहों की दृष्टि, नवम भाव के स्वामी के बैठने की राशि, नवम भाव के स्वामी पर ग्रहों की दृष्टि, कारक ग्रह और अकारक ग्रह, दशा, महादशा, अंतर्दशा इन सब को देखने के बाद ही फलादेश करना चाहिए।
नवम भाव पर राशि अनुसार फलादेश
मेष : जिस व्यक्ति के नवम भाव में मेष राशि होती है वह सौभाग्यशाली होते हैं, भाग्यशाली होते हैं। विवेकी होते हैं और जो भी काम करते हैं, सोच समझकर करते हैं। परंतु ऐसे व्यक्ति अर्थ के संबंध में चिंतित रहते हैं क्योंकि उन पर अनावश्यक खर्चे आते रहते हैं। हर समय आय की अपेक्षा खर्च बढ़ा चढ़ा रहता है। भूमि खरीदने या बेचने जैसे प्रॉपर्टी डीलिंग के काम से इन्हें बहुत लाभ होता है। धार्मिक कामों से भी ऐसे व्यक्ति लाभ उठा सकते हैं।

वृषभ : जिस व्यक्ति के नवम भाव में वृषभ राशि होती है ऐसे व्यक्ति अच्छे चरित्र वाले और विद्वान होते हैं। समय की नजाकत को समझने वाले विवेक से भरे हुए होते हैं। इनका भाग्य 28 वर्ष के बाद उदय होता है और पूरी तरह से भाग्य 36 वें वर्ष में उदय होता है। इनका बचपन कष्ट में निकलता है। पढ़ाई के लिए इन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है और वह फिर भी पूरी शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं। जीवन के मध्य में इनके पास बहुत धन होता है और उस धन के द्वारा यह बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। सजावट, भोग, विलास की चीज, कपड़े, खुशबूदार चीजें और फैशन में इनकी बहुत रूचि होती है। फैशन स्टोर के बिजनेस से इन्हें लाभ मिल सकता है। नौकरी में यह धीरे-धीरे तरक्की प्राप्त करते हैं।
मिथुन : जिस व्यक्ति के नवम भाव में मिथुन राशि होती है ऐसे व्यक्ति सौम्य, सात्विक और सरल स्वभाव वाले होते हैं। धर्म-कर्म के कामों में इनकी रूचि होती है और सहिष्णु होते हैं। रूढ़िवादी सोच और पाखंड का यह विरोध करते हैं। गरीबों के लिए इनके दिल में दया होती है। इनका भाग्य जीवन के 37वें वर्ष में उदय होता है। काम में व्यस्त रहना इनका स्वभाव होता है और जीवन के हर पल को व्यापारिक दृष्टिकोण से देखते हैं। धन इकट्ठा करने की कला में निपुण होते हैं। जीवन के मध्य में इनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। नौकरों पर आज्ञा चलती है और यह अपने सम्मान को बनाए रखते हैं। उच्च विचार, सद्गुण, शिक्षित और कला निपुण ऐसे व्यक्ति जीवन में अपने मनचाहे लक्ष्य को पाते हैं।
कर्क : जिस व्यक्ति के नवम भाव में कर्क राशि होती है ऐसे व्यक्ति भावुक और कल्पना करने वाले होते हैं। सफल शिक्षक, पत्रकार, लेखक हो सकते हैं। व्रत पूजा पाठ में गहरी रुचि रखने वाले होते हैं। चाहते हुए भी यह सामाजिक रूढ़िवादी सोच को तोड़ नहीं सकते। बचपन में इन्हें पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। वायु रोग जीवन भर बना रहता है। अस्थिर, चंचल और तुरंत निर्णय ले सकने के कारण इन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ता है परंतु इनमें सूझ बूझ अच्छी होती है। जिसके कारण यह जो भी काम करना चाहते हैं उसमें आवश्यकता से अधिक समय तो लगाते हैं परंतु काम अच्छा करते हैं। जीवन के मध्य में कई उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। धन हानि भी सहन करनी पड़ती है पर ऐसे व्यक्ति अपने जीवन को सफल बनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं।
सिंह : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में सिंह राशि होती है ऐसे व्यक्ति धर्म का विरोधी, केवल मानव धर्म में ही विश्वास रखने वाले होते हैं। धर्म के कार्यों पर बहस करना इनका स्वभाव होता है। भाग्य इनका साथ देता है पर इनके हर काम में बीच में अड़चनें आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति चाहते हुए भी अपने अधिकारियों को अपने से ऊपर वालों को खुश नहीं कर पाते। इनका समाज में सम्मान होता है। यह कठोर मेहनत करने वाले और मेहनत को ही अपना जीवन समझने वाले होते हैं। जीवन के पिछले समय के मुकाबले इनका वर्तमान समय सफल और श्रेष्ठ माना जाता है। यात्रा करना इन्हे पसंद है।
कन्या : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में कन्या राशि होती है ऐसे व्यक्ति भोग विलास वाला जीवन व्यतीत करने के शौकीन होते हैं। अपने परिवार, पुत्र और जीवन साथी से बहुत प्रेम करते हैं। भाग्य हमेशा इनसे छल करता रहता है यह अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। अन्याय और पक्षपात का प्रबल विरोध करते हैं। लोगों की वाहवाही लूटना इनका मनोरथ होता है और जरूरत से ज्यादा प्रदर्शन करते हैं। अपने आप को ऊंचा और धनी दिखाना पसंद होता है। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत होती है। वृद्धावस्था में पोते पोतियो का पूरा सुख प्राप्त होता हैं।
तुला : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में तुला राशि होती है ऐसे व्यक्ति धर्म का काम करने से हिचकिचाते हैं। बचपन में इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इनकी प्रगति धीरे-धीरे होती है। शिक्षण के समय में कई रुकावटें आती है या तो इसे सभी प्रकार के डिवीजन मिलते हैं या फिर इनकी पढ़ाई रुक-रुक कर होती है। भोग विलास की इन्हे इच्छा होती है। नौकरी के बजाय व्यापार में इन्हें मुनाफा होता है और व्यापार में भाग्य उदय भी जल्दी होता है। नेतृत्व करने के काम में यह आगे होते हैं और इन्हें जो जिम्मेदारियां दी जाती हैं यह उसे पूरे मन से निभाते हैं। इनके भाग्य में यात्राएं होती हैं और यह घूमने के इच्छुक भी होते हैं। ससुराल से इन्हें धन की प्राप्ति होना संभव है।
वृश्चिक : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में वृश्चिक राशि होती है ऐसे व्यक्ति पाखंड को पसंद करते हैं। दिखावा करना इनकी प्रवृत्ति होती है जिसके कारण इनका व्यर्थ खर्च भी होता है। सजावट और फैशन में इनका ध्यान होता है। जीवन की शुरुआत इनकी कष्ट में होती है। इन्हें अपनी आजीविका के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। परिवार और संबंधियों से इन्हें कोई सहायता नहीं मिलती। एक तरह से यह सेल्फमेड होते हैं। जीवन के 28 वर्ष इनके साधारण होते हैं इसके बाद ही इनका भाग्य उदय होता है और आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आता है। जीवन में कई यात्राएं करते हैं और समय को पहचान कर काम करने वाले होते हैं।
धनु: जिन व्यक्तियों के नवम भाव में धनु राशि होती है ऐसे व्यक्ति शांत, सौम्य और सरल स्वभाव के होते हैं। इनका बचपन ठीक निकलता है पर जीवन के मध्य में इन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। भाग्य पूरी तरह से इनकी और नहीं होता। यह जो भी काम अपने पक्ष में करना चाहते हैं उसमें कुछ ना कुछ बाधा आ जाती है। परिवार और समाज में यह सबके प्रिय होते हैं। जीवन में इन्हें विशेष प्रसिद्धि प्राप्त होती है। जीवन के 45 वर्ष के बाद यह धनी होते हैं और उच्च पद प्राप्त करते हैं। यात्राओं का इन्हें बहुत शौक होता है।
मकर: जिन व्यक्तियों के नवम भाव में मकर राशि होती है ऐसे व्यक्ति राजनीति में तेज होते हैं। हर काम जो लोगों को असंभव लगता है यह कोई ना कोई जुगाड़ लगा कर कर लेते हैं पर इतना होते हुए भी यह अपना भला नहीं कर पाते दूसरों के कार्य आसानी से कर लेते है। पर खुद के कार्य में आलसी हो जाते हैं और काम अधूरे रह जाते हैं। भाग्य में इन्हें निरंतर छल मिलता है। इनके हर काम में रूकावट आती हैं। ऐसे व्यक्ति नौकरी में धीरे-धीरे प्रगति करते हैं। यह प्रसिद्धि के लिए लालायित रहते हैं।
कुम्भ : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में कुंभ राशि होती है ऐसे व्यक्तियों का बचपन कष्ट में निकलता है पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इनके जीवन के 28 वर्ष इनके लिए अनुकूल होता है और 30 वर्ष के बाद भाग्य उदय होता है और 36 वर्ष इनके भाग्य की दृष्टि से सफल वर्ष कहा जा सकता है यह यात्राओं के शौकीन होते हैं इनकी आजीविका भी ऐसी ही होती है जिसमें यात्रा और भ्रमण जरूरी होता है। जीवन का मध्य इनके लिए प्रसिद्ध दिलाने वाला होता है और 39 वर्ष में यह देश में ख्याति प्राप्त करते हैं। नेतृत्व, योग्यता, कूटनीति, मानव को परखने की शक्ति, बातचीत में तेज होते हैं। ऐसे व्यक्ति वृद्धावस्था में धनी होते हैं।
मीन : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में मीन राशि होती है ऐसे व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। धार्मिक कार्यों में इनकी रूचि होते हैं और नौकरी में भी तरक्की करते हैं। व्यापार यदि करना हो तो इन्हीं पीली धातु का व्यापार करना चाहिए इससे लाभ होता है। सुंदर कपड़े पहनने के शौकीन होते हैं और 27 वर्ष इनके जीवन में भाग्य उदय कराने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति विनम्र, उच्च विचार रखने वाले होते हैं।
ग्रहों के अनुसार फल
सूर्य : जिस व्यक्ति के नवम भाव में सूर्य होता है ऐसे व्यक्ति परिवार से मोह रखने वाले, नए विचारों वाले होते हैं क्योंकि सूर्य की दृष्टि इन के पराक्रम स्थान पर तीसरे भाव पर बनी रहती है। इसीलिए जातक साहसी और मेहनती होता है। मेहनत को महत्व देते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हैं और तरक्की पाते हैं। उनका बचपन सुखी नहीं होता शिक्षा और आजीविका के लिए इन्हें निरंतर मेहनत करते रहना पड़ता है। लेकिन मध्य और वृद्धावस्था का समय इनका सफल होता है। यात्राओं के योग प्रबल होते हैं।
चन्द्रमा : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में चंद्रमा होता है ऐसे व्यक्ति सेल्फमेड होते हैं। भाग्य निरंतर इनका साथ देता है और व्यक्ति मेहनत करके अपने व्यक्तित्व को निखारता है। नेतृत्व करने की क्षमता इनमें बहुत अच्छी होती है। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को जानकर वैसा ही कदम उठाकर यह सफलता पाते हैं। जीवन का मध्य का समय इनके लिए अच्छा होता है। शत्रु इनके सामने कमजोर पड़ जाते हैं। यात्रा के योग भी अच्छे होते हैं। धर्म के क्षेत्र में बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। राजनीति के क्षेत्र में भी ऐसे व्यक्ति सफल होते हैं।
मंगल : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में मंगल होता है ऐसे व्यक्ति मेहनती, साहसी, मेहनत में विश्वास रखने वाले और उन्नति के मार्ग पर सदा चलते रहने वाले होते हैं। यदि मंगल शत्रुओं से घिरा होता है या शत्रु के भाव में बैठा होता है तो व्यक्ति तरह तरह के रोगों से ग्रस्त रहता है। भाग्य निरंतर छल करता रहता है और शुरुआत के वर्षों में दुख देता है। आजीविका के लिए इन्हें बहुत मेहनत करते रहना पड़ता है। यदि मंगल मकर राशि या अपने ही घर में बैठा हो तो व्यक्ति की भाग्य में वृद्धि होती है। विद्या में रुचि रखने वाले ऐसे व्यक्ति सफल लेखक, पत्रकार बनते हैं। चरित्रवान सरल जीवन व्यतीत करने वाले ऐसे व्यक्ति विनम्र स्वभाव के होते हैं।
बुध : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में बुध होता है ऐसे व्यक्ति चतुर पर विनम्र स्वभाव वाले होते हैं। परिश्रम करने में तत्पर ऐसे व्यक्ति जल्दी ही लोकप्रिय हो जाते हैं। जीवन में बहुत तेजी से लाइमलाइट प्राप्त कर लेते हैं। उन्नति के पथ पर बढ़ते रहते हैं। जीवन में लगातार शत्रुओं से सामना करते रहना पड़ता है। यह संकट के समय में भी मुस्कुराते रहते हैं। इन्हें उत्तम कोटि का वाहन सुख प्राप्त होता है। पारिवारिक जीवन सुखद और सफल कहा जा सकता है।
बृहस्पति : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में बृहस्पति होता है यह अत्यंत शुभ माना जाता है यह साधारण कुल में जन्म लेकर भी उन्नति करते हैं और अपना लक्ष्य पा लेते हैं। ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत ही शानदार होता है। यह आसानी से लोगों की सहानुभूति पा लेते हैं। यह राजनीतिक क्षेत्र में भी पूर्ण सफलता प्राप्त करते हैं। नेतृत्व, संगठन और संचालन के क्षेत्र में ऐसे जातक आगे होते हैं। विपक्ष के लोगों से भी विनम्रता से पेश आते हैं और विरोधियों की बात भी ध्यान से सुनना इनका स्वभाव होता है। यह जल्दी गुस्सा नहीं होते पंरतु गंभीर स्वभाव वाले होते हैं। पारिवारिक जीवन इनका मध्य स्तर का ही होता है।
शुक्र : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में शुक्र होता है ऐसे व्यक्ति ऐश और आराम से जीवन व्यतीत करते हैं। इनका भाग्य 22 वर्ष में ही उदय हो जाता है। बचपन आनंद से व्यतीत होता है। परिश्रम के बल पर यह दुर्भाग्य को भी अपने अनुसार सौभाग्य में परिवर्तित कर देते हैं। यात्राओं का इन्हें शौक होता है और जीवन में अनेक यात्राएं भी करते हैं। इनका पारिवारिक जीवन सफल और श्रेष्ठ होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन के मध्य काल में ही प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते हैं।
शनि : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में शनि होता है वे राजनीति में निपुण होते हैं। इनके जीवन का शुरुआती समय सामान्य होता है पर परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना कर यह तरक्की पाते हैं। जीवन का लक्ष्य हमेशा उनकी दृष्टि में बना रहता है। यह जो भी काम करते हैं बहुत ही धैर्य से और सोच समझकर करते हैं। पढ़ाई के समय और आजीविका के लिए इन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वैसे भी यह जातक बहुत मेहनती होते हैं। मेहनत का मूल्य और महत्व को समझते हैं। मेहनत के बल पर ही उन्नति पाते हैं। भाग्य इनके साथ होता है इनके जीवन में यात्राओं के भी कई अवसर आते हैं।
राहु : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में राहु होता है वे हमेशा भाग्यवान ही माने जाते हैं । अपने अधिकारों को पाने के लिए ऐसे व्यक्ति हमेशा चेष्टा करते रहते हैं और अधिकारियों से भी जो आदेश मिलता है उसका कठोरता से पालन करते हैं। इनका गृहस्थ जीवन सफल होता है।
केतु : जिन व्यक्तियों के नवम भाव में केतु होता है ऐसे व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में जरूर पैर रखते हैं और सफलता भी पाते हैं। जीवन के मध्य में ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इनमें एक विशेषता होती है कि यह विपरीत परिस्थितियों में भी उभरते हैं और चमकते हैं और प्रसिद्धि पाते है। हमेशा लक्ष्य प्राप्ति की और हमेशा चेष्टा करते रहते हैं। यात्राओं का योग जीवन में विशेष होता है। शत्रुओं को यह परास्त करने में सफल होते हैं। राजनीति के क्षेत्र में पूरी सफलता पाते हैं।
धन्यवाद !
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