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Wednesday, June 8, 2022

10th house, वैदिक ज्योतिष में दसवें घर का क्या उदेश्य है इसे विस्तार से समझायेगे| सभी राशियों, ग्रहों, और स्वामी के साथ अलग- अलग भाव में, दसवां भाव, 10वां भाव, 10th house in astrology, astrology, guru, shani, shukr, chandrma, brihaspati, moon, mangal, surya, 10th house ketu, bhav, 10th house rahu, budh, rahu, 10th house in hindi

 वैदिक ज्योतिष में दसवें घर का क्या उदेश्य है और क्या आप इसे विस्तार से समझा सकते है? सभी राशियों, ग्रहों, और स्वामी के साथ अलग- अलग भाव में?

नमस्कार,

आज हम वैदिक ज्योतिष में दसवें घर का क्या उदेश्य है इसे विस्तार से समझायेगे| सभी राशियों, ग्रहों, और स्वामी के साथ अलग- अलग भाव में

  • दसवें भाव को वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व दिया गया है क्योंकि दसवे भाव को पिता से जोड़ा जाता है पिछले आर्टिकल (नवं भाव) में आपको बताया गया था कि कुछ लोगो का मत है की नवं भाव पिता को दर्शाता है परन्तु यह केवल कुछ ज्योतिषियों का मत है| हमारा मानना है कि दसवा भाव पिता को दर्शाता है इसका कारण कुंडली में चार केंद्र स्थान होते है जैसा की निचे चित्र में दिखाया गया है|


  • केन्द्र स्थान पहला भाव (लग्न), चौथा भाव ( माता का स्थान ), सातवाँ भाव ( जीवनसाथी का स्थान ), और दसवां भाव (पिता का स्थान)| इन्ही चार रिश्तों का जीवन में अहम स्थान होता है| इसलिए इन्हें केंद्र में स्थान दिया गया है|    

  • दसवें भाव से व्यक्ति के पिता के बारे में जाना जाता है। व्यक्ति को अपने जीवन में पिता का सुख मिलेगा या नहीं, पिता की आयु कितनी होगी, पिता के साथ व्यक्ति के संबंध कैसे होंगे, व्यक्ति अपने जीवन में पिता से अधिक उन्नति करेगा या नहीं। इसके अलावा दसवें भाव से यह भी जाना जाता है कि व्यक्ति परिश्रमी होगा या आलसी होगा। नौकरी में उन्नति कितनी बार करेगा अर्थात प्रमोशन कितनी बार होगी। किस विभाग में नौकरी करेगा। इस सब के बारे में जानकारी 10वें भाव से ही प्राप्त की जा सकती है।
  • दसवें भाव से राज्य, मान, सेवावृत्ति, प्रतिष्ठा, पिता के संबंध में जानकारी, पिता के द्वारा दिया गया धन, समाज, अधिकार, ऐश्वर्य, भोग, कीर्ति, नौकरी का प्रकार, ऑफिसर पद, राजकीय या अर्द्धराजकीय सेवा, आत्मविश्वास, ज्ञान, इन सब के बारे में जाना जाता है।

  • दसवें भाव में सूर्य और मंगल ग्रह बलवान माने जाते हैं।

  • 10वें भाव के कारक ग्रह है बुध, गुरु और शनि है।

  • दसवां भाव केंद्र स्थान और उपचय स्थान होता है।

  • यदि नवम भाव का स्वामी दसवें भाव में और दसवें भाव का स्वामी नौवें भाव में बैठा हो तो यह शुभ होता है।

  • दसवें भाव का स्वामी जिस भाव में होता है उस भाव को नुकसान पहुंचाता है।

  • यदि मंगल दसवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति का जीवन कष्ट में होता है। ऐसे व्यक्ति को अपने पिता से कोई सहायता नहीं मिलती।

  • 10वें भाव को कर्म स्थान कहा जाता है और उसके स्वामी को कर्मेश कहा जाता है।

  • दसवें भाव को अंग्रेजी में 10th house और संस्कृत में राज, मान, ज्ञान, व्यापार कहा जाता है।

  • दसवें भाव में मेष, वृष और सिंह राशि बलवान होती है।
  • कुंडली में एक ही ग्रह त्रिकोण और केंद्र स्थान से संबंध बनाता है तो योगकारक बन जाता है। यह केवल मंगल गुरु और शनि ग्रहों द्वारा ही होता है।

  • यदि नौवें भाव का स्वामी दसवें भाव में और दसवें भाव का स्वामी नौवें भाव में हो तो यह भी योग कारक माने जाते हैं।

  • केंद्राधिपति और त्रिकोणाधिपति ग्रह अर्थात केंद्र के ग्रह और त्रिकोण के ग्रह एक साथ बैठते हैं तो वे योगकारक होते हैं। ऐसा केवल नौवें तथा दसवें भाव से चौथे और पांचवें भाव से और पांचवें और दसवें भाव से योग बनते हैं।

  • नवम भाव का स्वामी कहीं भी बैठकर दसवें भाव के स्वामी को देखता है तो यह योगकारक माना जाता है।

  • दसवें भाग का फलादेश करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए जैसे कि दसवें भाव का स्वामी, दसवें भाव में बैठे ग्रह, दसवें भाव पर ग्रहों की दृष्टि, दसवें भाव के स्वामी के बैठने की राशि, दसवें भाव के स्वामी पर ग्रहों की दृष्टि, 10वें भाव का अन्य ग्रहों से संबंध, दसवें भाव के स्वामी का अन्य ग्रहों से संबंध, दशा, महादशा और अंतर्दशा यह सब देखा जाता है।

दसवें भाव में राशियों का फल 

मेष : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में मेष राशि होती है ऐसे व्यक्ति कई कामों में व्यस्त रहते हैं। जीवन निर्वाह के लिए एक से अधिक साधन ढूंढते हैं और हर प्रकार के काम करने को तैयार 
रहते हैं। इनके जीवन में फिर भी यश का अभाव रहता है।

वृषभ : जिस जातक की कुंडली के दसवें भाव में वृषभ राशि होती है वे आय से अधिक खर्च करने वाले होते हैं। धन एकत्रित करने की कला इन्हें नहीं आती और ना ही व्यवस्थित तरीके से धन संचय कर पाते हैं। धार्मिक कार्यों में ऐसे व्यक्तियों की गहरी श्रद्धा होती है और अपने पिता के भक्त होते हैं। समाज कुल और जाति में इनका सम्मान होता है।

मिथुन : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में मिथुन राशि होती है ऐसे व्यक्ति को कृषि के कार्यों से खास लाभ मिलता है। इसके अलावा वे भूमि से संबंधित कार्य करें जैसे कि प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करें तो लाभ उठा सकते हैं। यह अपने बड़ों पर श्रद्धा रखते हैं और उनकी हर आज्ञा का पालन करते हैं। पिता की सेवा करने वाले ऐसे व्यक्ति नौकरी की बजाय व्यापार करने से अधिक लाभ उठाते हैं। ये समाज और कुल में सम्मान प्राप्त करते हैं।

कर्क : जिनके दसवें भाव में कर्क राशि होती है उससे माता का सुख ना के बराबर ही प्राप्त होता है। साथ ही इन्हें आजीविका के लिए मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। भूमि संबंधी कार्यों से जातक को लाभ नहीं मिलता।

सिंह : जिनके दसवें भाव में सिंह राशि होती है इन्हें पिता का सुख खास प्राप्त नहीं होता। इन्हें शिकार करने का शौक होता है। राजनीति जीवन बिताने के इच्छुक 
होते हैं। इन्हें परिवार से ना के बराबर ही सहायता मिलती है और पूरा परिश्रम करना पड़ता है।

कन्या : जिनके दसवें भाव में कन्या राशि होती है वह स्वाभिमानी और अपनी आन पर मर मिटने वाले होते हैं। चापलूसी करना इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं होता और दूसरों की हां में हां मिलाना भी यह नहीं जानते। यदि यह नौकरी के क्षेत्र में होते हैं तो यह नौकरी को भी गंभीरता से नहीं लेते। बेमन नौकरी करते हैं जिसके कारण इन्हें तरक्की धीरे-धीरे मिलती है। ऐसे व्यक्ति को नौकरी की बजाय व्यापार से लाभ मिलता है। नौकरी में यदि रहते हैं तो धीरे-धीरे उच्च पद पर पहुंच जाते हैं परंतु फिर भी इनके पास धन का संचय नहीं हो पाता। समाज उनके कार्यों की आलोचना करता है और कुल से इन्हें कोई लाभ नहीं होता।

तुला : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में तुला राशि होती है ऐसे व्यक्ति व्यापार की ओर होते हैं इनका भाग्य उदय भी व्यापार के कारण ही होता है। नौकरी में इनके अवसर कम ही होते हैं। यदि नौकरी करते हैं तो उन्हें वह सब नहीं मिलता जो यह चाहते हैं या जिस के हकदार होते हैं। जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में तुला राशि होती है ऐसे व्यक्ति बात करने में तेज होते हैं और मुंह से जो कह देते हैं वह पूरा करके दिखाते हैं। पिता की आज्ञा मानने वाले तथा सोच समझ कर बात कहने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति युवावस्था में अपने लिए अनुकूल रास्ता बनाकर उन्नति तक पहुंचते हैं।

वृश्चिक : जिन व्यक्तियों के दसवीं भाव में वृश्चिक राशि होती है ऐसे व्यक्ति सद्गुणों से भरे हुए होते हैं और गरीबों की सहायता करने में आगे रहते हैं। जबकि परिस्थितियां इनके अनुकूल नहीं होती फिर भी अपने सौम्य व्यवहार और नीति से वातावरण को अनुकूल बनाने में समर्थ रहते हैं। धार्मिक कामों में इनकी गहरी रूचि होती है और धार्मिक उत्सवों में यह बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। ऐसे व्यक्ति नौकरी में प्रगति करते हैं और जीवन निर्वाह के लिए बहुत मेहनत करते हैं।

धनु : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में धनु राशि होती है ऐसे व्यक्ति व्यापार में प्रगति करते हैं। नौकरी में इन्हें बहुत परेशानियां उठानी पड़ती हैं और वातावरण भी इनके अनुकूल 
नहीं होता। परंतु फिर भी यह लगातार संघर्ष करते हुए विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेते हैं। भूमि संबंधी और धार्मिक कार्यों से ऐसे व्यक्ति को लाभ होता है और पिता की सेवा करने वाले ऐसे जातक समाज में यश प्राप्त करते हैं।

मकर : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में मकर राशि होती है वह अपने आप पर काबू रखने वाले होते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन नहीं खोते और समय को पहचान कर उसके अनुसार कार्य करते हैं। जीवन के मध्य में भी ज्योतिपुंज के तरह उभरते हैं और अपने गुणों की चकाचौंध से सबको अचंभित कर देते हैं। अचानक से कोई भी काम कर देना मतलब चौका देने वाले कार्य करने में ये आगे होते हैं। पिता से उनके विचारों में विरोध रहता है फिर भी यह पिता के प्रति श्रद्धा रखते हैं। इनका जीवन सादा और उच्च होता है।

कुंभ : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में कुंभ राशि होती है वह कूटनीति और राजनीति में तेज होते हैं। विरोधियों को भी अपने काबू में कर के अपने अनुसार कार्य करा सकते हैं। दूसरों से अपना काम निकलवाने में माहिर होते हैं। इनका जीवन सादा होता है पर अचानक से कई बार खर्चे आ जाते हैं। इनका आर्थिक जीवन अस्त व्यस्त रहता है। कमाई से ज्यादा खर्च हमेशा बढ़ा चढ़ा रहता है।

मीन : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में मीन राशि होती है ऐसे व्यक्ति जल से संबंधित कार्यों या नौकरी में तरक्की करते हैं। व्यापार में भी इसी प्रकार के व्यापार से फायदा उठा सकते हैं। समाज में इनका सम्मान होता है और नीति के अनुसार कार्य करने वाले ऐसे व्यक्ति परिवार में प्रिय और उन्नति के पथ पर होते हैं।

दसवें भाव में ग्रहों के अनुसार फल

सूर्य : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में सूर्य होता है वह तेजस्वी, चरित्रवान और विद्वान होते हैं। यदि कोई और ग्रह कारक हो तो ऐसे व्यक्ति नौकरी में प्रगति करते हैं पर राज्य भंग योग भी होता है। नौकरी के समय इन्हें कई उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। ऐसे व्यक्ति को माता का सुख बहुत कम मिलता है और इनके और इनकी माता के विचारों में विरोध रहता है। जिसके कारण माता से दूर रहते हैं। पिता का सुख
भी इन्हें कम ही कहा जाता है। पिता का धन इन्हें प्राप्त नहीं होता। अचानक से इनका खर्चा बढ़ जाता है जिसके कारण आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती। ऐसे व्यक्ति समाज में श्रद्धा की दृष्टि से देखे जाते हैं।

चन्द्रमा : जिनके दसवें भाव में चंद्रमा होता है ऐसे व्यक्तियों की स्थिति शुभ मानी जाती है। इनका बचपन बहुत अच्छा व्यतीत होता है। भाग्य हमेशा उनका साथ देता है और 16 वर्ष के बाद ही उन्नति की ओर अग्रसर होने लगते हैं। ऐसे व्यक्ति सुंदर, कुलीन और नीति को समझने वाले होते हैं। समय की नजाकत को तुरंत पहचान लेते हैं और परिस्थितियों के अनुसार कार्य करते हैं। यह नौकरी में लाभ पाते हैं और शीघ्र उन्नति करते हैं। यदि दसवें भाव में चंद्रमा उच्च या अपनी राशि का होता है तो जातक पूरी प्रतिष्ठा पाता है और समाज में लोकप्रिय होता है। यह आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं और विरोधियों में भी प्रशंसा पाते हैं लेकिन अगर चंद्रमा शत्रुक्षेत्री होता है या क्षीण होता है तो व्यक्ति बुढ़ापे में श्वास के रोग से पीड़ित रहता है।

मंगल : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में मंगल होता है ऐसे व्यक्ति सफल व्यापारी होते हैं। यह ना ही नौकरी कर सकते हैं और ना ही इनका मन नौकरी में लगता है। नौकरी में तरक्की के अवसर भी बहुत कम होते हैं। जातक का बचपन बहुत गरीबी में व्यतीत होता है। कभी-कभी जातक की माता की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है। जिसके कारण इन्हें मातृ सुख से भी वंचित रहना पड़ता है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति कठोर परिश्रमी होते हैं। इनमें आगे बढ़ने की लालसा होती है और हर बाधा और संकट से इनका व्यक्तित्व और भी निखर जाता है। यह मेहनत को समझते हैं और अवसर को पहचानने की क्षमता इनमें होती है। अपनी सूझबूझ से यह व्यापार में उन्नति करते हैं। युवावस्था में मेहनत करते हुए वृद्धावस्था तक पूर्ण सुख भोगते हैं और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं।

बुध : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में बुध होता है वे निम्न स्तर से तरक्की पाते पाते उच्च पद को प्राप्त करते हैं। राजनीति के क्षेत्र में यह सफल होते हैं। इनके विचार मौलिक होते हैं। इनकी राजनीति दूषित या अन्याय पर स्थित नहीं होती। उनके विचारों में धर्म तथा अहिंसा का पूरा तालमेल देखा जा सकता है। इनका बचपन साधारण होता है और साधारण कुल में जन्म लेते हैं, पर अपने विचारों और कामों के कारण विख्यात हो जाते हैं। इमानदारी इनके जीवन का मूल होती है। छल कपट से दूर रहते हैं। राजनीति में होकर भी इनका व्यक्तिगत जीवन उच्च और भव्य होता है।

बृहस्पति : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में बृहस्पति होता है वे धार्मिक विचारों के हो जाते हैं ऐसे व्यक्ति राजनीति में प्रवेश करते हैं पर धर्म उनके जीवन पर धर्म हावी रहता है। यह धार्मिक कार्य में 
आगे बढ़ कर भाग लेते हैं और अपने विचारों में उज्जवलता दिखाते हैं। नौकरी के क्षेत्र में यह सफल होते हैं। यदि यह जातक व्यापारी होते हैं तो व्यापार में सफल नहीं होते। व्यापार की अपेक्षा यह नौकरी में तरक्की करते हैं। अपने पिता के भक्त होते हैं और माता की आज्ञा का भी उल्लंघन नहीं करते। समाज में सम्मान मिलता है तथा इनके व्यवहार से लोग प्रभावित रहते हैं। तीर्थ यात्राएं करते हैं और सादा जीवन बिताते हैं।

शुक्र : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में शुक्र होता है ऐसे व्यक्ति व्यापार करने पर हानि पाते हैं। यदि यह नौकरी करते हैं तो इनके लिए अवसर बहुत अधिक रहते हैं। साधारण कुल में जन्म लेकर भी ऐसे व्यक्ति नौकरी में उच्च पद पर पहुंच जाते हैं। धार्मिक क्षेत्र में यह आगे होते हैं। जीवन के मध्यकाल में इन्हें संघर्ष करना पड़ता है परंतु वृद्धावस्था में संघर्ष का फल इन्हें मिल जाता है। इसी कारण इनकी वृद्धावस्था आनंद में होती है। यह प्रसिद्धि पाते हैं। सादा जीवन उच्च विचार इनका मूल होता है।

शनि : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में शनि होता है ऐसे व्यक्ति को शनि की स्थिति धनवान बनाती है। नौकरी में प्रगति करते हैं। इन्हें आजीविका के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है परंतु फिर भी अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं। इनका स्वभाव भोगी होता है पर परिस्थिति को समझ कर कार्य करने वाले होते हैं। इनके रहन-सहन में दिखावा अधिक होता है। अचानक खर्चे भी आते हैं जिसके कारण हाथ तंग रहता है। माता-पिता के विचारों से इनके विचार मेल नहीं खाते जिसके कारण पारिवारिक कलह बना रहता है। यात्राएं खूब करते हैं और वृद्धावस्था भी इनकी अच्छी होती है।

राहु : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में राहु होता है देर से ही सही पर राजनीति के क्षेत्र में जरूर आते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं। राजनीति के दांव पेच जितने अच्छे से यह जानते हैं उतना और कोई नहीं जानता। संसार में जितने भी प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हुए हैं उनकी कुंडली में ऐसा योग देखे जा सकते हैं। यदि यह नौकरी करते हैं तो वहां भी सफल रहते हैं।  अधिकारी इनसे प्रसन्न रहते हैं।

केतु : जिन व्यक्तियों के दसवें भाव में केतु होता है वह संघर्ष करते हैं और मेहनती होते हैं। यह नौकरी में प्रगति नहीं कर सकते और ना ही इन्हें माता का सुख अच्छी तरह प्राप्त होता है। व्यापार में सफल हो सकते हैं। बचपन कष्ट में बितता है पर जीवन के मध्य में पूरी ख्याति प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति विद्वान, विचारक तथा नीतिवान होते हैं।

धन्यवाद !

वैदिक ज्योतिष में पहले भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में  

वैदिक ज्योतिष में दुसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में 

वैदिक ज्योतिष में तीसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में 

वैदिक ज्योतिष में चौथे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में

वैदिक ज्योतिष में पांचवे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में

वैदिक ज्योतिष में छठे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में 

वैदिक ज्योतिष में सातवे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में  

वैदिक ज्योतिष में आठवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में

वैदिक ज्योतिष में नवम भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में

वैदिक ज्योतिष में दसवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में 

वैदिक ज्योतिष में ग्यारहवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों  का फल अलग अलग भाव में  

 दुसरे भाव से सम्बंधित कुछ योग            

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