वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव का उद्देश्य क्या है और हम आपको इसे विस्तार से समझाएंगे सभी राशियों, ग्रह और स्वामी के साथ अलग-अलग भाव में
नमस्कार,
आज हम वैदिक ज्योतिष के प्रथम भाव के बारे में बात करेंगे जिसे लग्न भी कहा जाता है।
* प्रथम भाव व्यक्ति के जन्म से जुड़ा हुआ होता है, यह आधार होता है, जिससे बाकि ग्रहों को समझा जा सकता है।
* प्रथम भाव का अंग्रेजी नाम Ascendent है और संस्कृत भाषा का नाम लग्न, जन्म, होरा, उदय, तनु, आध है।
* प्रथम भाव से व्यक्ति के रंग रुप, कद काठी के बारे में देखा जाता है, स्वास्थ्य, स्वभाव, विचार, व्यक्तित्व कैसा होगा यह सब देखा जाता है।
* जन्म कुंडली में पहला भाव केंद्र स्थान कहलाता है, केंद्र स्थान में बैठे हुए ग्रह विशेष शक्ति से युक्त होते है जिस कारण अधिक लाभ प्रदान करते हैं।
* प्रथम भाव में सूर्य कारक ग्रह होते हैं।
* इस भाव से किसी भी जातक के शरीर, प्रारंभिक जीवन, बचपन, स्वास्थ्य, आचरण, पुष्टता, रंग, गुण, आत्मबल, ख्याति, रूप, आयु, सुख-दुख, मस्तिष्क, आकृति, स्वभाव, व्यक्तित्व, शारीरिक गठन और चरित्र का अध्ययन किया जाता है।
* मिथुन, कन्या, तुला, कुंभ राशि इस भाव में बलवान होती है।
राशियां: राशिगत प्रभाव और विशेषताएं
मेष: मेष लग्न में जन्म लेने वाला जातक मंझले कद का, लालिमा पर रंग, चंचल नेत्र, तीक्ष्ण दृष्टि युक्त तुरंत मनकी बात जान लेने में समर्थ होता है, मोटी और दृढ़ जांघें, भूरे रंग मिश्रित काले बाल, चमकदार दांत, लंबा चेहरा होता है।
मेष लग्न का जातक चतुर तुरंत निर्णय लेने में सक्षम और स्वतंत्र विचारों का होता है। तकलीफों में भी मुस्कुराता हुआ सभी रुकावटो को पार कर लेता है। धार्मिक मामलों में लचीला, सामाजिक रूढ़ियों के प्रति विद्रोही विचार रखते हुए भी उनका पालन करता रहता है, समाज में प्रगति करता है, यदि हाथ में पैसा हो तो ऐसे जातक दान देने में देरी नही करते। जल से भयभीत होते है फिर भी मुश्किल कार्यों को करने में तत्पर रहते है।
प्रत्येक कार्य को योजना बना कर करता है, साधारण कुल में जन्म लेने पर भी अपनी प्रतिभा एवम बुद्धि से उच्च पद प्राप्त करता है। जल्दी ही क्रोधित हो जाता है पर शांत भी जल्दी ही हो जाता है। कला, विज्ञान, संगीत और ज्योतिष जैसे कार्यों में रुचि होती है। सुंदरता के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाता है।
वृषभ: वृषभ लग्न में जन्म लेने वाला जातक शरीर से बलवान और पुरुषार्थी होता है, व्यक्ति गोरा और लंबा होता है होंठ मोटे तथा कान और आंखें लंबी होती हैं। ऐसे व्यक्ति का चेहरा आकर्षक होता है ललाट एवं हाथ लंबे ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है।
ऐसा व्यक्ति हर समय कुछ नया करने में लगा रहता है यह स्वभाव से गंभीर और कम मित्र रखने वाले होते हैं। अनुचित कार्य यदि करता है तो करने के बाद घंटों पछताता रहता है। इस लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति की प्रवृत्ति भी सांड जैसी हो जाती है, अपने आप में मस्त और धुन का पक्का होता है। जिस काम को एक बार छेड़ देता है उसके पीछे पूरी तरह लग जाता है।
ऐसे व्यक्ति निरंतर कुछ नई योजनाएं बनाते रहते हैं तथा अपने विचारों को मूर्त रूप देने में सदा तत्पर रहते हैं। इनका व्यक्तित्व भव्य और कार्य करने की शैली नूतन होती है इस प्रकार का जातक वाद्य संगीत आदि कलाओं में रुचि रखता है तथा विभिन्न प्रकार के भोग भोगने में लगा रहता है।
मिथुन: मिथुन लग्न में जन्म लेने वाला जातक बहुत परिश्रमी होता है और जीवन के प्रत्येक क्षण को सार्थक करने में लगा रहता है परंतु फिर भी उसे वह सब प्राप्त नहीं होता जिसकी उसे चाहत होती है या जिसे वह पाना चाहता है और जिसका वह अधिकारी होता है जिसके कारण वह हीन भावना का शिकार हो जाता है।
ऐसा व्यक्ति लंबे कद का हृष्ट पुष्ट शरीर वाला और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है ऐसा जातक एक साथ कई कार्यों को करने का जोखिम उठा लेता है। लिखने पढ़ने का शौकीन होता है तथा यदि लग्न को गुरु देख रहा हो तो लेखन कार्य में भी ख्याति अर्जित करता है परंतु ऐसे जातक का लेखन किसी एक विशेष विषय पर न होकर विविध विषयों पर होता है।
हर समय कुछ ना कुछ करते रहने की इसे धुन लगी रहती है नया कार्य प्रारंभ करने में इसे प्रसन्नता होती है। इसके हर कार्य में व्यर्थ की देर होती है और जितनी मेहनत करता है उस से कम फल प्राप्त होता है, फिर भी इसमें कुछ हिम्मत होती है।
मैकेनिकल कार्यों में इसका दिमाग बहुत तेज होता है। पुस्तक व्यवसाय या लेखन प्रकाशन इसके शौक होते हैं। यह चतुर व्यक्तिव का होता है, बात करने में प्रवीण और अपना कार्य निकालने में होशियार होता है परंतु सच्ची मित्रता की कसौटी पर खरा उतरता है।
कर्क: कर्क लग्न में जन्म लेने वाला व्यक्ति भावुक होता है। जब वह भावनाओं में बह जाता है तो अपना भला बुरा भी नहीं सोचता। निरंतर परिश्रम करते रहने पर भी इससे फल प्राप्ति नहीं होती जीवन में आगे बढ़ते रहने की तीव्र इच्छा रहती है पर लगातार असफलताओं के कारण हीन भावना मन में घर कर जाती है।
सजावट और गायन आदि में ऐसे व्यक्ति की बहुत रूचि होती है नए नए कार्य करते रहने की प्रवृत्ति इसके अंदर होती है। तीक्ष्ण बुद्धि और नई विचारधारा जीवन में सफलता प्रदान करने में सहायक होती है पर भावुकता अधिक होने के कारण किसी कार्य के अंत तक पहुंचने की क्षमता नहीं होती।
पैसे की कमी रहने पर भी पैसे के कारण इसका कोई काम रुकता नहीं और सामाजिक कार्यों में खर्च करने को यह सदा तत्पर रहता है। न्यायशील पक्षपात रहित और इमानदारी के लिए ऐसे व्यक्ति प्रख्यात होते हैं। इनका दांपत्य जीवन सुखी नहीं होता, पति-पत्नी के विचारों में मनमुटाव रहता है।
सिंह: सिंह लग्न में जन्म लेने वाले जातक का आकर्षक शरीर गोल और चौड़ा मुंह, ऊंचा उठा हुआ माथा इनकी विशेषता होती है। नीचे के भाग की अपेक्षा शरीर के ऊपर का भाग अधिक सुंदर होता है।
ऐसे जातक क्रोधी और उन्नत विचारों वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति संगीत कला आदि में रुचि रखने वाले और घूमने फिरने के शौकीन होते हैं। सिंह लग्न के व्यक्ति जीवन में प्रत्येक प्रकार की परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेते हैं यह लोग अपने और अफसरों के प्रति वफादार होते है तथा आत्मविश्वास इनमे अधिक होता हैं।
धर्म के नाम पर यह कट्टर नहीं होते यह अपने बचाव के लिए बीच का रास्ता स्वीकार कर लेते हैं भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं परंतु संतुष्ट हो जाने के बाद आलसी भी हो जाते हैं। इनके जीवन में एक निश्चित उद्देश्य होता है जिससे पूर्ण करने के लिए यह तत्पर रहते हैं।
इनका स्वभाव शक्ति होता है किसी की भी बात पर तुरंत विश्वास नहीं करते फल सब लोग इन्हें अपने जीवन में कठिनाइयों और खतरों का सामना नहीं करना पड़ता सिंह लग्न वालों में ज्यादातर एक ही पुत्र होता है। सिंह लग्न वाले लोग अनेक मित्र रखने वाले विनयशील, माता-पिता के प्रिय और प्रख्यात होते हैं।
कन्या: कन्या लग्न वाले व्यक्ति का कद मध्यम वर्ण गौर तथा दिखी नासिका के धनी ऐसे जातक अपने चेहरे पर कोमलता लिए होते हैं इनका सीना उभरा हुआ सजीला होता है माथा चमकदार और बाल घने होते है। इनका जवानी का समय बहुत भाग्यशाली होता है।
कन्या लग्न वाले लोग हर काम को करने में जल्दबाजी करते हैं चाहे वह काम उनके लिए अच्छा हो या बुरा उनके हित में हो या अहित में भावना को तवज्जो देने के कारण ऐसे जातक भावुक होते हैं और इनका दिमाग बहुत अधिक चलता रहता है और हर क्षण कुछ ना कुछ नया सोचते रहते हैं ऐसे लोगों को संगीत में रुचि होती है।
पढ़ाई में कम रुचि रहती है। दूसरों को अपनी भावनाओं के साथ बहा ले जाने की इनमें बहुत अच्छी क्षमता होती है। यह स्वार्थी होते हैं और अपने मामूली से स्वार्थ के लिए दूसरों का बड़े से बड़ा नुकसान करने में घबराते नहीं है।
ऐसे लोग सफल राजनीतिज्ञ होते हैं तथा राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक सफलता प्राप्त होती है। इनके मन में कुछ और होठों पर कुछ और होता है इनमें हीन भावना भी रहती है। विपरीत योनि के प्रति इनका झुकाव रहता है तथा प्रेम के क्षेत्र में असफल रहते हैं।
तुला: तुला लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति का रंग गोरा, कद का न अधिक लंबा और न अधिक छोटा होता है, कफ प्रधान प्रकृति, चतुर सदा मुस्कुराते रहने वाला, चौड़ा चेहरा, तीखी और सुंदर आंखें, चौड़ी छाती और सुंदर आकृति के धनी ऐसे जातक सफल माने जाते है।
ऐसे जातक भावनाओ को प्रधानता देने वाले ,आदर्श, जल्दी निर्णय लेने वाले, अपने प्रभाव से दूसरों को मित्र बनाने वाले तथा रचनात्मक कार्य करने में तत्पर रहते हैं।
ऐसे लोग योग्य और हर कार्य में दक्षता रखने वाले होते हैं। सामने वाले व्यक्ति के मन की बात जान लेने में इनकी विशेष योग्यता होती है और अवसर के अनुकूल अपने आप को ढाल लेने में ऐसे लोग प्रवीण होते हैं।
न्याय, दया, क्षमा, शांति और अनुशासन की और इनका झुकाव रहता है। इनकी कल्पना शक्ति (इमैजिनेशन पावर) बहुत अच्छी होती है। इनका लक्ष्य ऊंचा होता है। राजनीति के क्षेत्र में ऐसे जातक सफल होते हैं।
वृश्चिक: वृश्चिक लग्न के जातक का कद मध्यम, गठीला शरीर, तेज़ दिमाग, चमकदार माथा, काले बाल उभरी हुई ठोडी, चमकती हुई आंखें होती हैं। इनका व्यक्तित्व आसानी से दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। वृश्चिक लग्न के व्यक्ति पुरुष तत्व प्रधान होते हैं। यह लोग दूसरों को छेड़ने में आनंद अनुभव करते हैं और अस्थिर प्रकृति और आकर्षक व्यक्तित्व रखने वाला होता है।
अपनी ओर खींचने वाले ऐसे जातक और लोकप्रिय होते हैं। प्रेम के क्षेत्र में आगे होते हैं तथा विपरीत योनि के प्रति जल्दी ही आकर्षित हो जाते हैं। यह अपनी भावनाओं पर जल्दी नियंत्रण नहीं कर पाते और दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं। ऐसे लोग स्वार्थ की सिद्धि होने तक दुश्मन को कंधे पर बिठाने में भी नहीं हिचकते पर स्वार्थ पूर्ण होने के पश्चात उसे पैरों तले रौंद ने में भी देर नहीं लगाते।
राजनीति के क्षेत्र में ऐसे लोग पूर्ण सफल होते हैं। इनका स्वभाव उग्र होता है थोड़ी सी विपरीत बात होने पर यह लोग भड़क जाते हैं। इनकी जान पहचान थोड़ी होती है तथा यह विरोधियों तक से काम निकालने में तेज होते हैं। लिखने के कार्य में यह सफल हो सकते हैं पर शरीर के कारण और आलस के कारण नियमित तौर पर नहीं लिख पाते। इनके जीवन में धन का अभाव नहीं रहता पर धन संचय की कला इनमे नही है।
लग्न के अतिरिक्त लग्नेश की स्थिति लग्न में ग्रह है उसका स्वभाव तथा अन्य भागों से उसके संबंधों का ज्ञान प्राप्त करके ही फलाफल निर्देश करना चाहिए। कुंडली में लग्न प्रधान होता है और लग्न और लग्नेश की जानकारी का पूर्ण अध्ययन करना चाहिए।
आर्टिकल ज्यादा बड़ा होने के कारण इसे 2 भागों में बांटा गया है।
अगले आर्टिकल में हम बाकी राशियों (धनु, मकर, कुंभ, मीन), सभी ग्रह और स्वामी के साथ प्रथम भाव में क्या फल होगा इसके बारे में बताएंगे।
प्रथम भाव का उद्देश्य, ग्रहों की दृष्टीयां, ग्रहों का फल भाग 2
वैदिक ज्योतिष में पहले भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में दुसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में तीसरे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में चौथे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में पांचवे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में छठे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में सातवे भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में आठवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में नवम भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में दसवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
वैदिक ज्योतिष में ग्यारहवें भाव का उद्देश्य और राशियों, ग्रहों और स्वामियों का फल अलग अलग भाव में
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